जबलपुर की सेंट्रल जेल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने काटी थी सजा, म्यूजियम का दिया गया रूप

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जबलपुर। स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताजी को कई बार गिरफ्तार भी किया गया था। नेताजी की 128वीं जयंती से पहले जानते हैं, उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में।

मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित सेंट्रल जेल सुभाष चंद्र बोस का गवाह रहा है। आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी को स्वतंत्रता सेनानियों के साथ सेंट्रल जेल में कैद करके रखा गया था।

दरअसल, जबलपुर की सेंट्रल जेल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को कैद में रखने के लिए अंग्रेजों की पसंदीदा जेल थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जब सजा सुनाई गई थी, तब उन्हें भी यहीं लाया गया था। नेताजी 22 दिसंबर 1931 को इस जेल में लाए गए थे और उन्हें 16 जुलाई 1932 को यहां से मुंबई की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था। जबलपुर की सेंट्रल जेल में नेताजी 209 दिन तक कैद में रहे थे।

हालांकि, अंग्रेजों ने नेताजी को 18 फरवरी 1933 को जबलपुर जेल में फिर रखा और इसके बाद उन्हें 22 फरवरी 1933 को मद्रास भेज दिया गया।

जबलपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक अखिलेश तोमर ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि केंद्रीय जबलपुर जेल लगभग डेढ़ 150 साल पुरानी है। स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान इस जेल में कई क्रांतिकारियों को बंद करके रखा गया था। सभी लोग जानते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को दो बार जेल में बंद करके रखे गया। फिर उनके यहां से ट्रांसफर भी किया गया।

उन्होंने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की हर साल जेल में जयंती मनाई जाती है। इस दौरान सजा काट रहे कैदी जेल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जिसमें खेलकूद, डांस शामिल हैं। इस दौरान नेताजी के विचारों को भी याद किया जाता है। नेताजी के नाम पर एक वार्ड भी बनाया गया है, जिसे म्यूजियम का रूप दिया गया है। यहां उनसे जुड़ी जानकारी भी उपलब्ध है।

मध्य प्रदेश की किसी जेल में अपनी तरह का यह पहला संग्रहालय है। जहां नेताजी पर आधारित एक संग्रहालय बनाया गया है। संग्रहालय में नेताजी से जुड़ी चीजों को सहेज कर रखा गया है, जो कभी उन्होंने कारावास के दौरान इस्तेमाल की थी।

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