नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों में तीन खूंखार खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों की हत्या/मौत के बाद खालिस्तानी आतंकवादी और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नून का नाम सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर अब सबसे ऊपर है। पंजाब में राजद्रोह के तीन सहित 22 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे पन्नून को खालिस्तानी आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह कनाडा से संचालित करने के लिए जाना जाता है।
6 मई को खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के प्रमुख खालिस्तानी नेता परमजीत सिंह पंजवार की लाहौर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 15 जून को खालिस्तान समर्थक और अलगाववादी अमृतपाल सिंह के ‘गुरु’ अवतार सिंह खंडा की ब्रिटेन के एक अस्पताल में कैंसर से मौत हो गई।
तीन दिन बाद 18 जून को, कनाडाई नागरिक और प्रतिबंधित संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केअीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी थी।
चाहे वह पिछले साल मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर रॉकेट चालित ग्रेनेड हमला हो, एक ऑडियो संदेश में श्रीनगर में रहने वाले कश्मीरी मुसलमानों को दिल्ली जाने और जी 20 शिखर सम्मेलन को बाधित करने के लिए कहा गया हो, या कई मुख्यमंत्रियों और अन्य लोगों को टेलीफोन के माध्यम से हत्या की धमकी दी गई हो, ये सभी ऑडियो संदेश पन्नून द्वारा स्थापित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़े हुए हैं। पिछले हफ्ते ही पन्नुन ने पिछले हफ्ते “शहीद निज्जर की हत्या पर भारत जनमत संग्रह” कराने की घोषणा की थी। उसका सवाल है : क्या भारतीय उच्चायुक्त वर्मा हरदीप सिंह निज्जर की ‘हत्या’ के लिए जिम्मेदार हैं?
उन्होंने 29 अक्टूबर को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में खालिस्तान जनमत संग्रह-द्वितीय आयोजित करने की भी घोषणा की। खालिस्तान समर्थक नेता निज्जर, जिसे भारत सरकार ने ‘वांछित आतंकवादी’ घोषित किया था, की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने पंजाबी बहुल सरे शहर में 18 जून को गुरु नानक सिख गुरुद्वारा के परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिसके वह प्रमुख थे। निज्जर की हत्या के बाद से कई कट्टरपंथी कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं क्योंकि एक महीने के भीतर सिख अलगाववादियों की तीन हत्याएं हुईं। उनका कहना है: क्या तीन खालिस्तानी आतंकियों की अचानक हत्या में कोई पैटर्न है?