भोपाल। मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार लगभग अंतिम दौर में पहुंच गया है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने प्रचार की कमान संभाल ली है। इन बड़े नेताओं की रैलियां, रोड शो का दौर जारी है और एक दूसरे पर तीखे और करारे प्रहार किये जा रहे हैं। राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 17 नवंबर को मतदान होना है। बहुमत के लिए 116 सीटों पर जीत जरूरी है और वर्तमान हालात में दोनों राजनीतिक दल इस आंकड़े को पार करने के लिए जोर लगाए हुए हैं।
वैसे तो राज्य की अधिकांश सीटों पर मुकाबला सीधा है, मगर कई सीटें ऐसी हैं जहां बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाए हुए हैं।
बात भाजपा की करें तो राष्ट्रीय नेतृत्व के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा धुआंधार जनसभाएं किया जा रहे हैं। उनके निशाने पर सीधे तौर पर दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के 10 साल और केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार के 10 साल हैं। सभी नेता जहां कांग्रेस काल में सड़क, बिजली, पानी की दुर्गति की चर्चा कर रहे हैं, वहीं देश के मान और सम्मान की भी बात कर रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस के प्रचार की कमान पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संभाले हुए हैं। कांग्रेस सीधे तौर पर भाजपा की नीतियों और शिवराज सरकार के 18 साल के शासनकाल में प्रदेश के बिगड़े हाल की चर्चा तो कर रहे हैं, साथ में हमले भी जारी हैं। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राज्य के दोनों दलों के नेता सक्रिय हैं और जनता को अपने वादों और सरकार की सफलताओं की कहानी सुना रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय नेतृत्व देशव्यापी मुद्दों पर चर्चा कर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगे हैं। यह तो मतदाताओं पर निर्भर है कि वह किसकी बात पर भरोसा करते हैं। फिलहाल मुकाबला कड़ा है और रोमांचक भी। राज्य में प्रचार का मुख्य चेहरा कांग्रेस का कमलनाथ व भाजपा का शिवराज सिंह चौहान है।