नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक 6 दिसंबर को शुरू हुई थी। वहीं इसका समापन आज यानि कि 08 दिसंबर 2023, शुक्रवार को हो गया है। जिसके बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैठक में किए गए फैसलों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि, समिति ने सर्वसम्मति से रेपो दर में कोई बदलाव करने का फैसला किया है।
रेपो रेटो को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। इसका सीधा मतलब है कि आपके होम लोन, कार लोन विभिन्न लोन पर की ईएमआई (EMI) में कोई बदलाव नहीं होगा। आपको बता दें कि, यह लगातार पांचवी बार है जब ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि, वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती दिखाई है। बैंकों के बैलेंस शीट में मजबूती दिखी है। आरबीआई गवर्नर के अनुसार इसके फलस्वरूप स्थायी जमा सुविधा दर 6.25% और सीमांत स्थायी सुविधा दर तथा बैंक दर 6.75% पर बनी हुई है। आरबीआई गवर्नर ने FY24 में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, हमारी बुनियाद सुदृढ़ है। उन्होंने कहा कि, जीएसटी संग्रह, पीएमआई (परजेचिंग मैनेजर इंडेक्स) जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े मजबूत बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि, नवंबर-दिसंबर महीने में खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि हुई, जो चिंता का कारण बनी हुई है। हालांकि, ग्रामीण मांग में सुधान नजर आ रहा है। ग्रामीण मांग में सुधार दिख रही है। FY 24 के सीपीआई 5.4 पर बने रहने का अनुमान है।
आरबीआई जिस रेट पर कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। इससे आपकी जमा पर ब्याज दर में भी बढ़ोतरी हो जाती है। बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर जिस रेट पर ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहा जाता है। बैंकों के पास जो अतिरिक्त कैश होता है उसे रिजर्व बैंक के पास जमा करा दिया जाता है। इस पर बैंकों को ब्याज भी मिलता है।