नई दिल्ली। तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को बड़ा झटका देते हुए वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पोचाराम श्रीनिवास रेड्डी ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। उनके साथ बेटे भास्कर रेड्डी ने भी कांग्रेस की सदस्यता ली।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने व्यक्तिगत तौर पर श्रीनिवास रेड्डी के घर जाकर उन्हें पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया।
निजामाबाद जिले के बीआरएस विधायक और प्रमुख नेता श्रीनिवास रेड्डी ने निमंत्रण स्वीकार करते हुए रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में काम करने की इच्छा जताई।
पूर्व अध्यक्ष ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि वे ऐसे नेतृत्व के साथ काम करने के लिए तैयार हैं जो काम करता है। उन्होंने पार्टी द्वारा कृषि, किसानों और सिंचाई परियोजनाओं के लिए किए गए कार्यों की सराहना की।
राजस्व मंत्री पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी के साथ आए मुख्यमंत्री ने पोचाराम श्रीनिवास रेड्डी और उनके बेटे का कांग्रेस में स्वागत किया।
सीएम रेवंत रेड्डी ने पूर्व स्पीकर को भरोसा देते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस पार्टी में उचित स्थान दिया जाएगा। सीएम ने कृषि विकास और किसानों के कल्याण के लिए उनके प्रयासों की भी सराहना की।
कांग्रेस सरकार के किसानों के कल्याण के लिए काम करने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इस संबंध में श्रीनिवास रेड्डी के सुझावों को ध्यान में रखेंगे।
जब मुख्यमंत्री श्रीनिवास रेड्डी के घर के अंदर थे, तो कई बीआरएस नेता वहां उनसे मिलने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। बाल्का सुमन समेत बीआरएस नेताओं को हिरासत में लिया गया।
श्रीनिवास रेड्डी बीआरएस सरकार में 2018 से 2023 तक विधानसभा अध्यक्ष और 2014 से 2018 तक कृषि मंत्री रह चुके हैं।
वरिष्ठ नेता ने संयुक्त आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार में दो बार मंत्री के रूप में कार्य किया।
2011 में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में वे टीडीपी छोड़कर टीआरएस (अब बीआरएस) में शामिल हो गए थे। उसी साल उपचुनाव में वे बांसवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से फिर से चुने गए।
2023 के चुनाव में श्रीनिवास रेड्डी लगातार पांचवीं बार बांसवाड़ा सीट पर अपना दबदबा बनाए रखा। इससे पहले वे 1994 और 1999 में टीडीपी के टिकट पर इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे।
श्रीनिवास रेड्डी राज्यसभा सदस्य के. केशव राव और पूर्व उपमुख्यमंत्री कादियम श्रीहरि के बाद बीआरएस छोड़ने वाले अब तीसरे नेता बन गए हैं।
वह दिसंबर 2023 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले चौथे बीआरएस विधायक हैं।
बीआरएस ने 119 सदस्यीय विधानसभा में 39 सीटें जीती थीं। अब इसकी संख्या घटकर 34 रह गई है। हाल ही में सिकंदराबाद कैंटोनमेंट उपचुनाव में भी यह सत्तारूढ़ पार्टी से हार गई।
पिछले महीने लोकसभा चुनाव में बीआरएस को मिली अपमानजनक हार के बाद श्रीनिवास रेड्डी पहले विधायक हैं जिन्होंने पार्टी बदली है। बीआरएस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई।