नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलंपिक से छह पदक लेकर लौटे भारतीय ओलंपिक दल से बातचीत की और उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा कि खेल एक ऐसा क्षेत्र है जहां कोई हारता नहीं है, हर कोई सीखता है और वो सभी चैंपियन खिलाड़ी हैं।
पीएम मोदी ने पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले भारतीय खिलाड़ियों से मुलाकात की। इससे पहले पीएम मोदी ने इन सभी को लाल किले पर हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित किया था और इसके बाद पीएम हाउस में उन्हें होस्ट किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय खिलाड़ियों से बातचीत की और ओलंपिक में उनके अनुभव को जाना।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को अपने आवास पर खिलाड़ियों से बातचीत के दौरान कहा, सबसे पहले अपने मन से यह विचार निकाल दीजिए कि आप ओलंपिक से हारकर भारत लौटे हैं। आप देश का झंडा ऊंचा करके लौटे हैं। आपने कुछ मूल्यवान अनुभव भी प्राप्त किए हैं और खेल एक ऐसा क्षेत्र है, मेरे दोस्तों, जहां कभी कोई सही मायने में हारता नहीं है, हर कोई सीखता है।
दुनिया ने देखा है कि आपने मैदान पर क्या किया। अब आप मुझे बताइए कि आपने मैदान के बाहर क्या किया। आपने दुनिया भर के एथलीटों से दोस्ती की होगी और बहुत कुछ सीखा होगा। शायद आपने सोचा होगा कि यदि हमारे देश में भी ऐसा कुछ होता तो कितना अच्छा होता…।
प्रधानमंत्री मोदी ने खिलाड़ियों से हाथ मिलाया और भारत के सबसे युवा ओलंपिक पदक विजेता अमन सेहरावत, निशानेबाज मनु भाकर, सरबजोत सिंह, स्वप्निल कुसाले और भारतीय पुरुष हॉकी टीम के सदस्यों की प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान खिलाड़ियों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी पीआर श्रीजेश, कप्तान हरमनप्रीत सिंह और अमन ने मुलाकात के दौरान पीएम मोदी को भारत की जर्सी और हॉकी भेंट की।
पेरिस ओलंपिक में 16 खेलों में कुल 117 भारतीय एथलीटों ने भाग लिया जिनमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बैडमिंटन, मुक्केबाजी, घुड़सवारी, गोल्फ, हॉकी, जूडो, नौकायन, निशानेबाजी, तैराकी, कुश्ती, टेबल टेनिस और टेनिस शामिल हैं।
भारत ने पेरिस ओलंपिक में कुल छह पदक (5 ब्रॉन्ज और 1 सिल्वर) जीता। हालांकि उम्मीदें बहुत थीं, लेकिन कई मौकों पर भारतीय खिलाड़ियों का भाग्य ने साथ नहीं दिया।
भारत, टोक्यो ओलंपिक में अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को पार करने से चूक गया, जब उसने सात पदक (1 स्वर्ण, 2 रजत और 4 कांस्य) हासिल किए और 48 वें स्थान पर रहा था।
एथलेटिक्स में भारत ने 29 सदस्यीय मजबूत टीम के साथ बढ़त बनाई, जबकि देश ने निशानेबाजी स्पर्धाओं में 21 निशानेबाजों का अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भी उतारा।
पदक जीतने के अलावा, भारतीय एथलीटों ने खेलों में नए रिकॉर्ड बनाकर इतिहास रच दिया और छह स्पर्धाओं में चौथे स्थान पर रहने के बाद पदक जीतने से चूक गए।