जबलपुर। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शनिवार को डॉक्टरों से अपनी हड़ताल वापस लेने और बिना किसी देरी के चिकित्सा सेवाएं फिर से शुरू करने को कहा।
अदालत ने डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से अपनी शिकायतें उसके समक्ष रखने के लिए भी कहा है और आश्वासन दिया है कि उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सुना जाएगा।
हाई कोर्ट के फैसले से पूरे राज्य के अस्पतालों के आपातकालीन वार्डों में भर्ती मरीजों को बड़ी राहत मिली है।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे एक वकील ने आईएएनएस को बताया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की खंडपीठ ने शनिवार को सुनवाई के दौरान ये निर्देश जारी किये।
कोलकाता के आर.जी. कर में एक महिला जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के साथ बलात्कार-हत्या के विरोध में पूरे देश में डॉक्टर हड़ताल पर हैं।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर डॉक्टरों द्वारा बुलाई गई हड़ताल पर 24 घंटे में जवाब मांगा था।
कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में क्रूर अपराध और 14 अगस्त को अस्पातल में बाहरी तत्वों द्वारा की गई तोड़फोड़ के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने शनिवार सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक देश भर में डॉक्टरों की हड़ताल की घोषणा की थी।
आईएमए ने गुरुवार को एक बयान में कहा था, “सभी आवश्यक सेवाएं बहाल रखी जाएंगी। आपातकालीन विभागों में डॉक्टर ड्यूटी पर रहेंगे। नियमित ओपीडी नहीं चलेंगी और वैकल्पिक सर्जरी नहीं की जाएगी।”
इस बीच, मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में शुक्रवार से सैकड़ों रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी है, जिससे चिकित्सा सेवाएं बाधित हो गई हैं।
भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज से जुड़े एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, “मरीज़ हमारी पहली प्राथमिकता हैं, लेकिन डॉक्टरों को भी सुरक्षा की ज़रूरत है। हम हाई कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हैं, लेकिन अदालत को सरकार को डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश बनाने का भी निर्देश देना चाहिए।”