शहडोल। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल शनिवार को शहडोल प्रवास के दौरान पकरिया गांव में जनजातीय प्रतिनिधियों, फुटबाल क्लब के खिलाड़ियों, स्व-सहायता समूह की लखपति दीदियों और पेसा एक्ट लागू होने के बाद उससे लाभान्वित हुए हितग्राहियों के साथ संवाद किया। प्रधानमंत्री ने लखपति दीदियों से आत्मीय संवाद कर गृहणी से लखपति बनने के सफर को विस्तार से जाना और समझा। पीएम मोदी ने लखपति दीदियों से आर्थिक सशक्तिकरण के इस सफर में आयी मुश्किलों और सफलताओं के अनुभव भी जाने। प्रधानमंत्री ने लखपति दीदियों से उनके अनुभव सुनकर कहा कि लखपति दीदियाँ सभी महिलाओं के लिए आदर्श एवं अनुकरणीय है तथा उनके लिए प्रेरणा का काम करेंगी। घर की चारदीवारी में रहने वाली लखपति दीदियाँ भी प्रधानमंत्री मोदी को अपने सामने देखकर गदगद, उत्साहित और भावुक हो गई।
लखपति दीदी सविता वर्मन और राधा ने बताया कि घूँघट में रहने वाली महिलाओं ने अपने घर की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने का बीड़ा उठाया है। लखपति बनकर अब घर की स्थिति बेहतर हो गई तो बच्चों की पढ़ाई से लेकर, परिवार और समाज का नजरिया भी हमारे लिए बदल गया है। अब हम आत्मनिर्भर हैं, परिवार की बेहतरी के लिये निर्णय ले सकते हैं और जरूरत पड़ने पर अपनी मर्जी से घर के बाहर भी निकल सकते हैं। आदिवासी बहुल इलाके में ज्यादातर पैदल चलने वाली महिलाएँ अब अपनी स्कूटी से बाजार एवं अपने अन्य जरूरी काम करने लगी हैं।
लखपति दीदी राधा रजक ने बताया कि चार साल पहले मेरे घर की हालत बहुत ज्यादा खराब थी। ऐसे में मुझे किसी ने स्व-सहायता समूह से जुड़ने की सलाह दी। शुरू में मुझे लगा सहायता समूह कोई बैंक लोन देने वाली संस्था है, लेकिन समय के साथ मैंने स्व-सहायता समूह की गतिविधियों और उद्देश्यों को समझा। अपने घर की माली हालत सुधारने समूह से मुर्गीपालन के लिए लोन लिया। धीरे-धीरे मेरा यह व्यवसाय चल पड़ा। अब मेरे घर की माली हालत पहले से कही ज्यादा बेहतर है। राधा रजक प्रधानमंत्री मोदी के साथ संवाद कर बहुत उत्साहित नजर आई।
राधा बताती है कि शुरुआत में मैंने स्व-सहायता समूह से कर्जा लेकर 50 मुर्गियाँ खरीदीं, जिसे बाद में बढ़ा कर 100 किया। अच्छा काम चलने से अब मैं दो से ढाई सौ तक मुर्गियाँ रखने लगी हूँ। घर से भी सहयोग मिला तो मैंने बकरी पालन के लिए भी समूह से सहायता ली। अब मेरे दोनों ही काम बड़े अच्छे चल रहे हैं और मेरे परिवार की माली हालत भी ठीक हो गयी है। पहले मैं बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए परेशान होती थी, अब मैं उनकी पढ़ाई भी अच्छे से करवा पा रही हूँ। मैं जिस स्व सहायता समूह से सदस्य के रूप में जुड़ी थी, अब उसी संस्था की अध्यक्ष भी बन गई हूँ। मैं यही कहूँगी कि समूह से जुड़ना निश्चित रूप से मेरा जीवन बदलने वाला निर्णय था। प्रधानमंत्री को अपने बीच उपस्थित देख मैं खुद को खुशनसीब समझती हूँ।
सामान्य परिस्थितियों में पली-बढ़ी और अब लखपति दीदी बनी सरिता बर्मन भी मोदी की गरिमायम उपस्थिति से प्रभावित हैं। वे कहती हैं कि हम महिलाएँ कभी घर के अंदर घूंघट में रहती थीं। स्व-सहायता समूह से जुड़कर आर्थिक रूप से तो सशक्त बन ही गई हूँ, अब लखपति दीदी के रूप में भी जानी-पहचानी जा रही हूँ।
सविता बताती हैं कि शुरुआत में उनके घर की हालत गंभीर थी, लेकिन स्व सहायता समूहों ने महिलाओं को जैसे आजादी और आत्म-निर्भरता के पंख लगा दिए। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान के लिए जो योजनाएँ चलाई जा रही है, निश्चित रूप से हम महिलाएँ अब आत्म-निर्भर बनते हुए आगे भी बढ़ रही हैं।
आज का दिन शहडोल संभाग के सभी फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए भी ऐतिहासिक था। प्रधानमंत्री ने शहडोल संभाग में संचालित “फुटबाल क्रांति” कार्यक्रम के लगभग सौ होनहार फुटबॉल खिलाड़ियों और कोच से संवाद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने फुटबॉल खिलाड़ियों से उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को बड़ी आत्मीयता से सुना और समझा। उन्होंने शहडोल संभाग कमिश्नर राजीव शर्मा के निर्देशन में चल रहे “फुटबॉल क्रांति” कार्यक्रम की जानकारी ली और कार्यक्रम से जनजातीय खिलाड़ियों को मिलने वाले प्रोत्साहन को भी सराहा। खिलाड़ियों ने आत्मीयता से अपना परिचय देते हुए फुटबाल क्रांति के जुड़ने के बाद उनके जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तनों पर अपने अनुभव बताए। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान 4 साल के फुटबाल खिलाड़ी अनिदेव सिंह और 5 साल के यश से भी बात कर उन्हें शुभकामनाएँ दीं।
अमलाई के शेख कुनैन के अनुसार उन्हें बचपन से फुटबाल का शौक था। स्थानीय स्तर पर फुटबाल भी खेलते थे। उन्होंने कप्तानी भी की है। वर्ष 2021 से शुरू “फुटबाल क्रांति” ने उनका फुटबाल के प्रति नजरिया ही बदल दिया है। अब रोज अच्छी सुविधाओं के बीच प्रेक्टिस करते हैं और ट्रेनिंग कर रहे हैं। आगे देश के लिए खेलने का सपना है। प्रधानमंत्री को अपने समक्ष पाना बड़ा ही प्रेरणादायक है। संवाद में शामिल हुआ 5 वर्षीय यश का भी देश के लिए फुटबॉल खेलने का सपना है। राष्ट्रीय स्तर के सीनियर फुटबॉल चयनकर्ताओं ने दूसरी कक्षा के यश की प्रतिभा देखकर उसे आगामी दिनों में फुटबाल का भविष्य माना है।
फुटबाल खिलाड़ी रेणु केवट के लिए भी आज बड़ा और यादगार दिन रहा। रेणु बताती है कि बचपन से थोड़ा-बहुत तो शौक था, किंतु फुटबॉल क्रांति के बाद से मुझे इस खेल में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। वह प्रतिदिन ग्राउंड में प्रैक्टिस करती है। रेणु बताती हैं कि खिलाड़ियों के बीच प्रधानमंत्री मोदी को पाकर वे उनसे मिली, उनकी ऊर्जा हम खिलाड़ियों के लिये उत्साहवर्धन करने वाली है।