नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विश्व संगठन के मुखर आलोचक डोनाल्ड ट्रंप को फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित किए जाने पर बधाई दी है। साथ ही कहा है कि संयुक्त राष्ट्र उनके प्रशासन के साथ “रचनात्मक रूप से काम करने” के लिए तैयार है।उन्होंने अपने संदेश में कहा, “मैं अपने पूरे भरोसे के साथ कहता हूं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के बीच सहयोग अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का एक आवश्यक स्तंभ है।”
उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र आगामी अमेरिकी प्रशासन संग रचनात्मक रूप से काम करने के लिए तैयार है ताकि हम दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का मिलकर समाधान निकाल सकें।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों की सराहना करता हूं।”
बहुपक्षवाद और जलवायु परिवर्तन दोनों को लेकर ट्रंप की सोच यूएन से मेल नहीं खाती। यही कारण है कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और यूनेस्को के तत्वावधान में हुए पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग कर लिया।
गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने महासचिव और ट्रंप के बीच मतभेदों की बातों को दरकिनार करते हुए कहा कि उनके बीच “बहुत अच्छे संबंध हैं”।
दुजारिक ने कहा, “यह तथ्य कि कई मुद्दों पर उनकी राय अलग-अलग थी, स्पष्ट है। मुझे लगता है कि महासचिव ने अपनी राय व्यक्त कर दी है। अमेरिकी प्रशासन (ट्रंप के नेतृत्व में) की अपनी नीतियां थीं। इसने महासचिव को संयुक्त राज्य सरकार के साथ बातचीत करने से नहीं रोका, जैसा कि पिछले सभी महासचिवों ने किया है।”
संयुक्त राष्ट्र का मेजबान होने के अलावा, अमेरिका इसका सबसे बड़ा वित्तपोषक है, जो इसके वार्षिक बजट का 22 प्रतिशत और इसके पीस कीपिंग बजट में 26 प्रतिशत योगदान देता है।
गुटेरेस ने गार्जियन अखबार को बताया था कि अगर अमेरिका, जो ग्रीनहाउस गैसों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक है, पेरिस समझौते से बाहर निकलता है, तो यह समझौता अभी भी बना रहेगा, लेकिन “पंगु” बना रह सकता है।
उन्होंने अखबार को बताया था कि वाशिंगटन के लिए समझौते में बने रहना महत्वपूर्ण था, लेकिन इसके लिए वैश्विक तापमान को 1.5 सेल्सियस की सीमा के भीतर रखने के लिए आवश्यक नीतियों को अपनाना अधिक महत्वपूर्ण है।
ट्रंप ने अपने अभियान के दौरान कहा था कि उनका प्रशासन जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा अपनाए गए उपायों को खत्म कर देगा या सीमित कर देगा और तेल और गैस के लिए ड्रिलिंग को प्रोत्साहित करेगा।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति की वापसी कैसी होगी? इसकी झलक निक्की हेली के संयुक्त राष्ट्र में बतौर स्थायी प्रतिनिधि (अमेरिका ) पहले दिन दिए बयान में मिलती है।
उन्होंने कहा, “प्रशासन के साथ हमारा लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र में मूल्यों पर केंद्रित होगा, और मूल्य दिखाने का तरीका अपनी ताकत दिखाना है, अपनी पूरी आवाज दिखाना है।”
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों से, जिनमें से कई अक्सर अमेरिका का विरोध करते हैं, उन्होंने कहा, “जो लोग हमारा साथ नहीं देते, उनके लिए हम नाम ले रहे हैं, और हम उसी के अनुसार जवाब देने के लिए मुद्दे उठाएंगे।”