श्योपुर। मध्य प्रदेश के श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में हुए चीता पुनर्वास की समीक्षा करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, कूनों को इको टूरिज्म का हब बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि चीता पुनर्वास वन्य क्षेत्र के जुड़ाव से एक सर्किट बनता है, कूनो को इको टूरिज्म का हब बनाया जाएगा और केंद्रीय इको टूरिज्म केंद्र की स्थापना भी की जाएगी।समीक्षा बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश देश में कूनो नेशनल पार्क सबसे अनूठा है और कूनो का क्षेत्र अपने आप में सबसे अलग है, इसलिए यहां चीता पुनर्वास केंद्र शुरू किया गया है और दुनिया में यह सबसे बड़ी सफलता का क्षेत्र भी है, क्योंकि यहां पर चीतों का पुनर्वास करने में हमने सफलता पाई है। इस समय 21 चीता हैं और यह एक बड़ी संभावनाओं का क्षेत्र है।
उन्होंने आगे बताया कि देश में कुल 10 वन्य क्षेत्र को इस संबंध में चिन्हित किया गया था। इनमें से तीन केंद्र मध्य प्रदेश में हैं। एक कूनो, दूसरा गांधी सागर और तीसरा नौरादेही – इन तीनों जगह पर जल्दी ही अफ्रीका और नामीबिया की टीम जाकर सर्वे करेगी और आने वाले समय में इन जगहों पर और चीतों को बसाया जाएगा।
वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश को इको टूरिज्म का बनाने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। इससे रोजगारोन्मुख अर्थव्यवस्था संचालित करने में सहयोग मिलेगा। भविष्य में कूनो में ही लगभग 2 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। गांधी सागर अभयारण्य में भी ऐसी गतिविधियों को संचालित किया जाएगा। प्रदेश में वन आधारित अर्थ-व्यवस्था का नया मॉडल विकसित होगा। केंद्र सरकार के सहयोग से जल, जंगल, जमीन, वन्य प्राणी के संरक्षण के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगारोन्मुखी अर्थ-व्यवस्था बनेगा।
मुख्यमंत्री के निवेदन पर केंद्रीय वन मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश एलीफेंट प्रोजेक्ट भी चलाया जाएगा और हाथियों से बचाव के लिए स्थानीय लोगों को शिक्षित किया जाएगा। स्थानीय लोगो को गजमित्र बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट एलिफेंट के अंतर्गत केंद्रीय दल मध्य प्रदेश आएगा, जो असम और केरल के राज्यों के अनुभवों के साथ यहां के हाथियों के झुंड की व्यवहारों का अध्ययन करेगा और उसके संबंध में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को देगा। इससे हाथियों के संरक्षण पर काम किया जा सके।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश इको टूरिज्म का केंद्रबिंदु है। जंगलों, अभयारण्य, टाइगर रिजर्व क्षेत्र अन्य जगहों पर की तुलना में सबसे ज्यादा क्षेत्र मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं।