भोपाल। राजधानी भोपाल की अदालत ने कल शनिवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को दंगा करने और सरकारी अधिकारियों के काम में बाधा डालने के करीब डेढ़ दशक पुराने मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई।
इसी मामले में पटवारी के अलावा पूर्व कांग्रेस विधायक कृष्णमोहन मालवीय समेत तीन अन्य को भी एक साल कैद की सजा सुनाई गई थी। पटवारी सहित प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
अदालत ने मामले में 13 अन्य आरोपियों को भी नोटिस जारी किया, जो शनिवार को सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं थे।
2009 में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने राजगढ़ जिले में बिजली बिल में बढ़ोतरी सहित किसानों के मुद्दे पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई।
मारपीट के दौरान हुए पथराव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी घायल हो गए।
पुलिस ने तब 17 लोगों को गिरफ्तार किया था, उनमें से ज्यादातर कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता थे और उन पर आईपीसी की धारा – 148, 294, 353, 332, 336, 506 (2), 427 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984 के तहत मामला दर्ज किया गया था। .
अदालत में मौजूद इंदौर की राऊ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक ने कहा, “मैं हाथ जोड़कर अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं। लेकिन, मैं मध्य प्रदेश के किसानों के हित के लिए लड़ता रहूंगा। मैं फैसले को ल्द ही उच्च न्यायालय में चुनौती दूंगा।”
मध्य प्रदेश कांग्रेस ने पटवारी और अन्य को अपना समर्थन देते हुए कहा है कि पार्टी कार्यकर्ता लोगों के हितों के लिए लड़ने से कभी पीछे नहीं हटेंगे, चाहे उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई की जाए।
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ ने एक बयान में कहा, “हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इससे असहमत हैं। हम इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि समाज के अधिकारों के लिए आंदोलन करना एक नेता का पहला कर्तव्य है। यह संविधान की मूल भावना के अनुरूप है। यह हर कांग्रेस कार्यकर्ता ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से सीखा है।पूरी कांग्रेस पार्टी जीतू पटवारी के साथ है।”