जबलपुर। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर का डी एन जैन महाविद्यालय आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। अध्यापन कराने वाले प्राध्यापकों की भी कमी है। इस स्थिति में महाविद्यालय बंद होने की कगार पर आ गया है। महाविद्यालय की प्रबंध समिति के एक सदस्य ने भी इसे बंद करने का प्रस्ताव दे दिया है।महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. तरुण वाजपेयी ने संस्था की आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए बताया कि महाविद्यालय में विभिन्न फैकल्टी में प्राध्यापकों की कमी है। संस्थान की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। संस्थान को आगे चलाना है तो नए संकायों को शुरू किया जाना चाहिए।
बताया गया है कि वर्तमान प्रबंधन को ऐसा लगता है कि अब महाविद्यालय लाभ देने की स्थिति में नहीं हैं। बिना आर्थिक लाभ के इस महाविद्यालय को संचालित करना औचित्यहीन है। इसी का नतीजा रहा कि गत दिवस महाविद्यालय को बंद करने का प्रस्ताव गवर्निंग बॉडी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया । इस प्रस्ताव पर कुछ लोगों ने नाराजगी भी जताई। उनका कहना था कि महाविद्यालय की स्थापना आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से नहीं की गई थी। वैसे भी शैक्षणिक संस्थानों को लाभ कमाने के उद्देश्य से स्थापित नहीं किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक, डी एन जैन महाविद्यालय की गवर्निंग बॉडी बैठक आयोजित हुई। बताया जाता है कि बैठक के एजेंडे पर चर्चा के दौरान ही एक मेंबर के द्वारा अचानक महाविद्यालय को बंद करने का प्रस्ताव रख दिया गया। उक्त प्रस्ताव को चर्चा के लिए अध्यक्ष रविंद्र कुमार सिंघाई द्वारा स्वीकार कर लिया गया। लेकिन प्रस्ताव के अचानक रखे जाने का विरोध भी शुरू हो गया।
यह महाविद्यालय जबलपुर के प्रमुख कॉलेजों में से एक है। यहां से कई प्रमुख लोगों ने शिक्षा अर्जित की है। एक जुलाई 1949 को स्थापित हुए महाकौशल के सबसे पुराने महाविद्यालयों में से है। यहां से पढ़ने वाले अनेक लोग प्रशासनिक सेवाओं में महत्वपूर्ण पदों पर गए हैं और कई राजनीति के क्षेत्र में बड़ी जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुके हैं।