नोएडा प्राधिकरण की वादाखिलाफी से नाराज किसान 3 जुलाई से करेंगे प्रदर्शन

Farmers

नई दिल्ली। नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर कई महीनों तक किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया था। शासन से मिले आश्वासन और लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह प्रदर्शन खत्म कर दिया गया था। लेकिन अब एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर नोएडा प्राधिकरण की वादाखिलाफी के विरोध में किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

पहला प्रदर्शन 3 जुलाई को भारतीय किसान परिषद द्वारा किया जाएगा। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन भी 8 जुलाई को एक बड़ा धरना प्रदर्शन करने की तैयारी में है जिसमें हजारों की संख्या में किसान जुटेंगे। जानकारी के मुताबिक, 3 जुलाई को भारतीय किसान परिषद, किसान सभा और जय जवान जय किसान के संयुक्त मोर्चा ने जिलाधिकारी का घेराव करने का ऐलान किया है। वहीं 8 जुलाई को भारतीय किसान यूनियन प्राधिकरण का घेराव करेगा। दोनों ही प्रदर्शन में हजारों की संख्या में किसान शामिल होंगे।

दरअसल नोएडा को 81 गांवों की जमीनों पर बसाया गया है। 1997 से 2014 के बीच जमीन अधिग्रहित हुई। इस दौरान 16 गांव के किसानों को मुआवजा और 5 प्रतिशत विकसित प्लॉट दिए गए। बाकी गांव के किसान हाई कोर्ट चले गए। उन्होंने मुआवजा और विकसित प्लॉट देने की प्रक्रिया को चुनौती दी। कोर्ट में नोएडा प्राधिकरण के भू-अर्जन अधिनियम 1984 के प्रावधान के मुताबिक 16 गांव की 19 अधिसूचनाओं को चुनौती दी गई। इस चुनौती पर हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2011 को किसानों को 64.70 प्रतिशत की दर से मुआवजा और 10 प्रतिशत प्लाट आबादी में देने का आदेश दिया। बाद में इस आदेश के विरोध में भी कुछ किसान कोर्ट गए। इसमें ऐसे किसान थे जिनकी याचिका खारिज कर दी गई या जो कोर्ट नहीं गए थे।

कोर्ट ने उनकी मांगों को लेकर प्राधिकरण को निर्णय लेने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद प्राधिकरण ने 191 वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया कि आबादी में 10 प्रतिशत प्लाट या इसके क्षेत्रफल के बराबर मुआवजा दिया जाए। इसमें सिर्फ उन्हीं किसानों को शामिल किया गया, जो हाई कोर्ट के 21 अक्टूबर 2011 के आदेश में शामिल थे। लेकिन प्राधिकरण ने माना कि ऐसे किसान जिन्होंने कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया। साथ ही ऐसे किसान जिन्होंने अधिसूचना को चुनौती ही नहीं दी, वे पात्र नहीं हैं। इसके बाद से 2019 से लगातार किसान प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन करते आ रहे हैं।

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