नई दिल्ली। भारत के गेमिंग मार्केट का आकार वित्त वर्ष 29 तक बढ़कर 9.8 अरब डॉलर हो सकता है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 24 में 3.7 अरब डॉलर पर था। इसके 20 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
मार्केट इंटेलिजेंस फर्म 1लैटिस की रिपोर्ट के मुताबिक, मिडकोर और हार्डकोर गेमिंग सेगमेंट में बढ़त देखने को मिल सकती है। इसके अगले पांच वर्षों में 47 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 29 में इसका मार्केट शेयर 42 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
1लैटिस में टेक्नोलॉजी और इंटरनेट निदेशक, प्रणीत सिंघल का कहना है कि भारत ने वैश्विक गेमिंग पारिदृश्य में अपनी स्थिति मजबूत की है। इससे वृद्धि के काफी अच्छे मौके मिल रहे हैं। सेक्टर में बदल रही परिस्थितियों के कारण आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है।
सिंघल ने आगे कहा कि हमारा मानना है कि उद्योग में और विस्तार करने की संभावना है और पक्षकारों को इस बात पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे इस बढ़ते बाजार से कैसे जुड़ सकते हैं और इससे लाभ उठा सकते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच और इंटरनेट के कवरेज में इजाफा होना गेमिंग सेक्टर के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं।
भारत में वर्तमान में 950 मिलियन सक्रिय इंटरनेट और 820 मिलियन से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं। इसमें से लगभग 560 मिलियन गेमर्स हैं, जो यूजर्स का एक बड़ा आधार बनाते हैं।
सरकारी पहल जैसे मुंबई में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओई) का उद्देश्य इस सेक्टर में इनोवेशन और स्किल डेवलपमेंट को बढ़ाने पर है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि इंस्टीट्यूशनल पहल जैसे एवीजीसी टास्क फोर्स और ईस्पोर्ट्स को आधिकारिक स्पोटर्स कैटेगरी के तहत मान्यता देना सरकार की गेमिंग के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
नाजारा टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियों का समर्थन और निवेश उद्योग की वैल्यू चेन को बदल रहा है।