मध्य प्रदेश में जर्मन लैंग्वेज इंस्टीट्यूट शुरू होंगे : मोहन यादव

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भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने विदेशी प्रवास के दौरान गुरुवार को जर्मनी के म्यूनिख पहुंचे। उन्होंने कहा कि जर्मनी में रोजगार के अनेक अवसर हैं। मगर, भाषा एक चुनौती है। इसके लिए राज्य में लैंग्वेज इंस्टीट्यूट खोले जाएंगे।

मुख्यमंत्री ब्रिटेन की यात्रा के बाद जर्मनी पहुंचे। उन्होंने म्यूनिख स्थित बवेरिया प्रांत के चांसलरी प्रमुख और संघीय एवं मीडिया विभाग के मंत्री डॉ. फ्लोरियन हैरमेन से संवाद किया।

उन्होंने कहा कि जर्मनी और मध्य प्रदेश सरकार के समन्वय से रोजगार के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे। जर्मनी में काम के अनेक अवसर तो हैं, परंतु भाषाई चुनौती भी है। इसे दूर करने के लिए मध्य प्रदेश में लैंग्वेज इंस्टीट्यूट खोलने की योजना बना रहे हैं, जिससे रोजगार के अवसरों के लिए भाषा चुनौती न बने और मध्य प्रदेश तथा जर्मनी के अधिकारियों के मध्य समन्वय के साथ भाषाई सहजता से काम हो सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जर्मनी से सीखने के लिए बहुत कुछ है। हिन्दुस्तान के जर्मनी के साथ अतीत से मधुर संबंध हैं। मैक्समूलर ने हमारे वेदों का संस्कृत भाषा से अनुवाद करके जर्मनी के माध्यम से दुनिया के सामने हमारे प्राचीन ज्ञान को प्रकट किया था।

उन्होंने बवेरिया प्रांत के चांसलरी प्रमुख और संघीय एवं यूरोपीय मामलों के साथ मीडिया विभाग के मंत्री डॉ. फ्लोरियन हैरमेन से चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत और जर्मनी के बीच मजबूत होते रिश्तों को आगे बढ़ाने की दिशा में राज्य स्तर पर भी साझेदारी बढ़ाने पर रजामंदी दिखाई। दोनों नेताओं ने तकनीकी नवाचार, सुपर कंप्यूटिंग, ऑटोमोटिव सेक्टर, एयरोनॉटिक्स और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में संभावित सहयोग के पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जर्मनी के टेक्निकल स्टाफ के माध्यम से इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक, आईटीआई जैसे टेक्निकल क्षेत्र में हमारे उद्योगपति लाभ ले सकेंगे। खासकर ऑटोमोबाइल क्षेत्र में जर्मन टेक्नोलॉजी उन्नत स्तर की है। हम जानते हैं कि इसमें कई चुनौतियां सामने आएंगी, एक-दूसरे के तकनीकी अनुभवों को साझा करते हुए हम आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि इस विदेशी दौरे के बाद भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा। इसमें हमने जर्मनी के प्रतिनिधियों और उद्योगपतियों को भी आमंत्रित किया है। दोनों पक्षों को अधिकारियों को एक-दूसरे के यहां भेजने में प्रशासनिक स्तर पर जो कठिनाइयां आती हैं, उनको दूर किया जाएगा। इससे व्यापार और व्यवसाय की राह में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में मदद मिलेगी।

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