नई दिल्ली। बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) और कुछ अन्य कानून (संशोधन) विधेयक, जो राज्य की राजधानी के नागरिक निकाय को भवन योजनाओं और अन्य अनुमतियों से संबंधित शुल्क लगाने का अधिकार देता है, बुधवार को कर्नाटक विधानसभा में पारित हो गया।उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा : “2015 में भवन निर्माण अनुमति के लिए शुल्क के संग्रह से संबंधित एक परिपत्र था। कुछ लोगों ने परिपत्र को चुनौती देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसे 2021 में संशोधित किया गया था। इस शुल्क को पूर्वव्यापी बनाने के लिए 2022 में एक और संशोधन किया गया।”
हाईकोर्ट ने सर्कुलर पर रोक लगाते हुए कहा था कि सर्कुलर के आधार पर बिल्डिंग परमिशन फीस नहीं वसूली जा सकती। आवेदकों ने इस संशोधन को न सिर्फ हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, बल्कि समीक्षा याचिका भी दायर की थी।
उन्होंने कहा, “सर्कुलर के आधार पर, सरकार ने 2015 से 2023 तक 1,712 करोड़ रुपये एकत्र किए थे और अन्य 688 करोड़ रुपये का संग्रह लंबित था। सर्कुलर में कुछ खामियां थीं और इसलिए उच्च न्यायालय ने इसके खिलाफ फैसला सुनाया था। उच्च न्यायालय के आदेश का मतलब था कि बीबीएमपी को 1,712 करोड़ रुपये लौटाने थे। यह संशोधन अनिवार्य रूप से इसे सुधारने के लिए है।”
शिवकुमार ने कहा कि परिपत्र में कई परिभाषाओं जैसे ग्राउंड रेंट, मार्गदर्शन मूल्य, जांच शुल्क, लेवी शुल्क आदि को अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है और इसलिए यह संशोधन कुछ शब्दावली को फिर से परिभाषित करने और कुछ मुद्दों को सुधारने का एक प्रयास है।
विपक्ष के नेता आर अशोक और विधायक अश्वथ नारायण की फीस नहीं बढ़ाने की मांग पर उन्होंने कहा कि सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया, “उच्च न्यायालय ने परिपत्र पर रोक लगा दी थी क्योंकि पिछली सरकार ने केवल एक परिपत्र के आधार पर फीस एकत्र की थी। न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि शुल्क संग्रह केवल मौजूदा कानूनों में संशोधन के आधार पर किया जा सकता है। (पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.) येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई ने इस संबंध में एक कानून पारित किया था। यह कानून मूल रूप से भाजपा द्वारा पेश किया गया था। हमारी सरकार का फीस बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।”