रूस आर्कटिक हितों की रक्षा के लिए तैयार, नाटो अभ्यास से नाराज मॉस्को का बयान

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नई दिल्ली। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि रूस आर्कटिक क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए तैयार है। बता दें नाटो इस क्षेत्र में अपना सैन्य अभ्यास बढ़ा रहा है।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, लावरोव ने डॉक्यूमेंट्री सीरीज सोवियत ब्रेकथ्रू को दिए इंटरव्यू में कहा, हम देख रहे हैं कि कैसे नाटो आर्कटिक में संभावित संकटों से संबंधित अभ्यासों को बढ़ा रहा है। हमारा देश सैन्य, राजनीतिक और मिलिट्री-टेक्निकल मोर्चों पर अपने हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।

अमेरिकी रक्षा विभाग ने जुलाई में अपनी आर्कटिक रणनीति का एक अपडेटेड वर्जन जारी किया था। इसमें अमेरिकी सहयोगियों के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास की योजनाओं की रूपरेखा शामिल थी। रणनीति में भागीदारों, स्थानीय उद्योगों और अलास्का की मूल जनजातियों के साथ मिलकर काम करने के इरादे पर भी प्रकाश डाला गया था ताकि क्षेत्र में साझा सुरक्षा बढ़ाई जा सके।

पेंटागन की रणनीति के मुताबिक, अमेरिका और उसके सहयोगी 250 से अधिक आधुनिक मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट लाने की योजना बना रहे हैं, जिन्हें 2030 तक आर्कटिक ऑपरेशन के लिए तैनात किया जा सके।

इस महीने की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी और मैरीटाइम कॉलेजियम के अध्यक्ष निकोलाई पेत्रुशेव ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी रूस की सीमाओं पर दबाव बढ़ा रहे हैं और लगातार उसकी रक्षा क्षमताओं का परीक्षण कर रहे हैं।

पेत्रुशेव ने अमेरिका पर आर्कटिक में सैन्यीकरण करने का आरोप लगाया, ताकि उत्तरी क्षेत्रों में रूसी आर्थिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की जा सके।

बता दें रूस यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस के रिश्ते और अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के साथ बेहद तनावपूर्ण रहे हैं।

हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों से कृषि उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध दो वर्षों के लिए बढ़ा द‍िया।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रतिबंध 1 जनवरी, 2025 से 31 दिसंबर, 2026 तक चलेगा। यह पहली बार है जब इसे एक वर्ष से अधिक समय के लिए बढ़ाया गया है।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर पश्चिमी प्रतिबंधों के जवाब में अगस्त 2014 में मूल रूप से लागू किया गया यह प्रतिबंध अमेरिका, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे और कनाडा के उत्पादों को प्रभावित करता है। बाद में प्रतिबंधों को यूक्रेन सहित अन्य यूरोपीय देशों तक बढ़ा दिया गया।

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