नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में गिरावट के मनोवैज्ञानिक पहलू की जांच करने की जरूरत है और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित विभिन्न सरकारी अधिकारियों और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक से जवाब मांगा है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि मानव शरीर के विभिन्न अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क और भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को प्रभावित करने वाले वायु प्रदूषकों के प्रतिकूल प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपायों की जरूरत है।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की एनजीटी पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरण ने पहले 20 अक्टूबर की एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली में वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाया था। हालांकि, इसने बताया कि संबंधित विशिष्ट मुद्दा मस्तिष्क सहित शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव की अलग से जांच करने की जरूत है।
एनजीटी ने वायु प्रदूषण का कारण बनने वाले विभिन्न रासायनिक और भौतिक घटकों और मानव शरीर के विभिन्न अंगों पर उनके प्रतिकूल प्रभावों के व्यापक मुद्दे को भी मान्यता दी। इसने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, एम्स और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग सहित कई सरकारी अधिकारियों को नोटिस जारी किया।
इन अधिकारियों को 11 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई से पहले एनजीटी के समक्ष जवाब दाखिल करना होगा।