भोपाल। मध्य प्रदेश के परिवहन घोटाले के मुख्य आरोपी परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा और उसके साथी चेतन सिंह गौर को लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से सात दिनों की रिमांड पर 4 फरवरी तक के लिए भेज दिया गया। तीन जांच एजेंसी लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग को सौरभ शर्मा की तलाश थी।
मंगलवार को राजधानी भोपाल के न्यायालय में सरेंडर करने सौरभ शर्मा जा रहा था, तभी उसे बाहर से लोकायुक्त पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यह दावा सौरभ शर्मा के अधिवक्ता ने किया।
सौरभ शर्मा के वकील राकेश पाराशर ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि उनका मुवक्किल लोकायुक्त में सरेंडर करने आ रहा था, तभी उसे न्यायालय के बाहर से हिरासत में ले लिया गया।
अधिवक्ता का आरोप है कि लोकायुक्त ने नियम विरुद्ध उसे हिरासत में लिया। उनकी मांग है कि सौरभ का स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाए। उसके साथ ही उसकी वीडियोग्राफी की जाए। इसकी तीन काॅपी बनाकर न्यायालय, लोकायुक्त और उन्हें सौंपी जाए।
लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ को हिरासत में लिया और फिर पूछताछ कर गिरफ्तार कर लिया। इतना ही नहीं इसी दौरान सौरभ का साथी चेतन भी लोकायुक्त पहुंच गया। दोनों को गिरफ्तारी के बाद लोकायुक्त ने न्यायाधीश आरपी मिश्रा की अदालत में दोनों को पेश किया, जहां से चार फरवरी तक की रिमांड पर सौंप दिया गया। सौरभ का एक अन्य सहयोगी शरद जायसवाल भी लोकायुक्त कार्यालय पहुंचा।
पिछले साल दिसंबर में सौरभ शर्मा के खिलाफ तीन जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की थी। इस दौरान एक कार में 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए नगद मिले थे। इसके अलावा सौरभ और उसके करीबी चेतन सिंह गौर के निवास से ढाई क्विंटल से ज्यादा की चांदी बरामद की गई थी। कई दिनों से लगातार इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि सौरभ अपने परिवार के साथ दुबई में है। इसी बीच सोमवार को उसके सरेंडर करने का आवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।