नई दिल्ली। कर्नाटक के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने बुधवार को गांधी जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम में वीर सावरकर को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की। मंत्री ने सावरकर के संबंध में दावा किया कि वे एक ब्राह्मण थे, फिर भी मांसाहारी थे। इतना ही नहीं उन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के मुकाबले सावरकर को ज्यादा कट्टरपंथी बताया।
गुंडू राव के बयान ने जहां कुछ लोगों को आश्चर्यचकित किया, वहीं सावरकर के समर्थकों और आलोचकों के बीच एक नई बहस का आगाज़ भी किया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि वीर सावरकर एक ब्राह्मण थे, लेकिन वह मांसाहारी थे और बीफ खाते थे। उन्होंने कभी गाय के वध का विरोध नहीं किया। इस विषय पर उनकी सोच काफी आधुनिक थी। उनके विचार एक तरह से कट्टरपंथी थे, जबकि दूसरी तरफ वह आधुनिकता को अपनाते थे। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि वह एक ब्राह्मण होने के नाते खुलकर मांस खाते थे और इसका प्रचार करते थे।
उन्होंने कहा कि दूसरी तरफ, महात्मा गांधी एक सख्त शाकाहारी थे और हिंदू सांस्कृतिक रूढ़िवाद में उनकी गहरी आस्था थी। उन्होंने गांधी को एक लोकतांत्रिक व्यक्ति बताया, जो अपनी सोच में प्रगतिशील थे।
मोहम्मद अली जिन्ना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, जिन्ना ने एक और चरमपंथ का प्रतिनिधित्व किया। वे कभी भी कठोर इस्लामवादी नहीं रहे, और कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने सूअर का मांस भी खाया। हालांकि, वह बाद में मुसलमानों के लिए एक प्रतीक बन गए। जिन्ना कभी भी कट्टरपंथी नहीं थे, लेकिन सावरकर थे।
गुंडू राव की इस टिप्पणी के बाद सियासत गर्म हो सकती है। कुछ लोग उनके बयान का समर्थन करते हुए नजर आ सकते हैं तो वहीं कुछ लोग उनके बयानों की आलोचना कर सकते हैं।