अब मध्य प्रदेश के नवाचारी अपने उत्पादों का पेटेंट करा सकेंगे

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भोपाल। म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् भोपाल और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन गांधीनगर के बीच सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये, जिसके अंतर्गत दोनों संस्थानों के बीच जमीनी स्तर के नवाचार, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग के लिए प्रदेश में स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन बनेगा।

परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि राज्य में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की सहायता से स्टेट इनोवेशन फाऊंडेशन की स्थापना की जायेगी। इस कार्य में एन.आई.एफ. के विशेषज्ञों से तकनीकी सहायता ली जायेगी। स्टेट इनोवेशन फाउंडेशन की सहायता से प्रदेश के नवाचारियों का एक डेटाबेस निर्मित कर उनके उत्पादों को कमर्शियल करने में सहायता प्राप्त होगी। एमओयू का मुख्य उद्देश्य दोनों संस्थानों के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में शोधकार्यों, नवाचारों, बौद्धिक सम्पदा अधिकारों और अकादमिक स्तर पर एक-दूसरे को सहयोग प्रदान करना है।

एमओयू पर म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् की ओर से महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन – इंडिया की ओर से निदेशक डॉ. अरविन्द सी. रानाडे ने हस्ताक्षर किये।

एमओयू के अंतर्गत इनोवेशन फाउंडेशन – विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शोधकार्य के लिए रिसर्च गाइड उपलब्ध करायेगा। इसी प्रकार जमीनी नवाचारों और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के जागरूकता अभियान के लिए तकनीकी विशेषज्ञता उपलब्ध कराई जायेगी। पारंपरिक ज्ञान को मजबूत करने के लिए तकनीकी सहयोग किया जायेगा। इसी प्रकार रिसर्च स्कॉलर्स को दोनों संस्थानों में उपलब्ध रिसर्च इंस्ट्रूमेंटेशन एवं पुस्तकालय सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। दोनों संस्थान संयुक्त रूप से केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न स्कीमों के लिए संयुक्त रूप से परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं। यह एमओयू 3 वर्ष के लिए किया गया है। इसकी अवधि 2 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है। इस एम.ओ.यू. से प्रदेश के नवाचारियों को उचित मंच प्राप्त होगा जिसकी सहायता से वह अपने उत्पादों को पेटेंट में परिवर्तित करा सकेंगे। इसके लिए उन्हें उचित तकनीकी परामर्श एवं संसाधन प्रदान किए जाएंगे।

मेपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी ने बताया कि दोनों संस्थाओं के बीच विज्ञान लोकप्रियकरण की गतिविधियों, कार्यक्रमों और परियोजना प्रस्तावों को तैयार करने में परस्पर सहयोग किया जायेगा। इसी प्रकार वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में आदान-प्रदान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि स्टडी प्रोग्राम, सेमिनार, सम्मेलन आदि के आयोजनों में परस्पर सहयोग किया जायेगा। साथ ही नवाचारी व्यक्तियों, अन्वेषकों और शोधार्थियों के लिए वैज्ञानिक विषयों और मुद्दों पर जानकारियों का साझा विनिमय किया जायेगा।

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