भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने अमेरिकी दौरे के दौरान राहुल गांधी की इल्हान उमर से हुई मुलाकात पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अमेरिका में इल्हान उमर जैसे आईएसआई समर्थक नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिसे गंभीरता से लेना होगा। यह अपने आप में ही बड़ा सवाल है कि राहुल गांधी इल्हान उमर जैसे लोगों से मुलाकात कैसे कर रहे हैं? इसका मतलब है कि उनका इल्हान से कोई खास रिश्ता है। अब कांग्रेस को इस पर अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इल्हान उमर की राहुल गांधी से हुई मुलाकात से एक बात स्पष्ट हो चुका है कि वो देश विरोधी गतिविधियों में भी संलिप्त हैं। भारत आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलता है। इससे एक बात साफ हो चुकी है कि राहुल गांधी देश विरोधी काम कर रहे हैं। वैश्विक मंच पर जाकर वो राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।”
इसके अलावा, उन्होंने अमेरिका में राहुल गांधी द्वारा लोकतंत्र के संदर्भ में दिए बयान को लेकर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र अब खतरे में नहीं है। कांग्रेस के शासनकाल में लोकतंत्र खतरे में था। यह तो स्पष्ट है कि कांग्रेस के शासनकाल में कितनी जगहों पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया। आप खुद पुराना इतिहास उठाकर देख सकते हैं। नरेंद्र मोदी के शासनकाल में आप मुझे एक भी ऐसा घटनाक्रम बता दीजिए। बीजेपी के शासनकाल में एक भी ऐसा घटनाक्रम देखने को नहीं मिला। देश में शांति और स्थिरता का माहौल है, लेकिन हम सभी जानते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में शुरू से ही कैसा माहौल रहा है।”
उन्होंने कहा, “हम सभी को पता है कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तो उसने कई राज्यों में भाजपा की सरकार गिरा दी थी। कहीं ना कहीं यह कहना गलत है कि अभी लोकतंत्र खतरे में है। पिछले दस सालों से देश में बीजेपी की सरकार है। बीजेपी सत्ता में है, तो देश में कैसी स्थिति बनी हुई है, हम यह सब भलीभांति देख पा रहे होंगे, आज देश में स्थिरता का माहौल है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस बात को खारिज करना गवारा नहीं रहेगा कि पिछले 10 सालों में बीजेपी सरकार सत्ता में है। ऐसे में मौजूदा समय में किस तरह के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, उसे हम सब देख रहे हैं। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया है। इससे घाटी में चौतरफा विकास की बयार बह रही है। लोगों में केंद्र के इस कदम से खुशी का माहौल है, लेकिन कुछ लोग लगातार सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।”