राजस्थान हाईकोर्ट ने कोचिंग संस्थानों में बढ़ती आत्महत्याओं पर लिया स्वत: संज्ञान

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नई दिल्ली। राजस्थान उच्च न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल (एजी), न्याय मित्र और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से राज्य के कोचिंग संस्थानों में विशेषकर कोटा और सीकर जिले में छात्रों द्वारा आत्महत्या की रोकथाम के संबंध में सुझाव देने को कहा है।

अदालत ने मंगलवार को उनसे मामले की जांच करने और सुझाव देने को कहा कि स्थिति से निपटने के लिए एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रणाली कैसे विकसित की जाए।

साथ ही कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता से कहा है कि वह भी किसी विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर प्रभावी तंत्र विकसित करने के लिए अपने सुझाव दे सकते हैं।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तारीख तय की है।

कोर्ट ने यह निर्देश कोटा के कोचिंग संस्थानों के छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं पर स्वत: संज्ञान लेने के मामले में दिया है।

सुनवाई के दौरान एजी ने कहा कि काउंसलरों को संस्थागत आधार पर नियुक्त किया गया है और उनसे प्राप्त जानकारी निगरानी समिति के पास उपलब्ध है। इस पर कोर्ट ने कहा कि मेंटल हेल्थ फाउंडेशन जैसी संस्था की सेवाएं लेकर इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की रिपोर्ट पहले पेश की जा चुकी है। वहीं, कोर्ट ने भी समय-समय पर कई दिशा-निर्देश दिए हैं और राज्य सरकार ने एक नियामक तंत्र भी स्थापित किया है, जिसकी निगरानी समिति कर रही है।

एनसीपीसीआर के अधिवक्ता ने कहा कि बच्चों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग पर ध्यान देना जरूरी है। ऐसे में एजी, न्याय मित्र और एनसीपीसीआर को एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रणाली विकसित करने पर अपने सुझाव देने चाहिए।

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