आंध्र प्रदेश में पारंपरिक लाठी की लड़ाई में 100 से अधिक घायल

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नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में दशहरा उत्सव के दौरान पारंपरिक लड़ाई के दौरान हुई हिंसा में दर्जनों लोग घायल हो गए।

होलागोंडा मंडल के देवरगट्टू गांव में शुक्रवार देर रात बन्नी उत्सव के दौरान दो प्रतिद्वंद्वी गुटों में बंटे सैकड़ों ग्रामीणों ने एक दूसरे पर लाठियों से हमला कर दिया।

पुलिस ने कहा कि झड़पों में 40 से अधिक लोग घायल हो गए, लेकिन अपुष्ट रिपोटरें ने संख्या 100 बताई है।

घायलों को अदोनी और अलूर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। इनमें से चार की हालत नाजुक बताई जा रही है।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि माला मल्लेश्वरस्वामी मंदिर में एक पहाड़ी पर पारंपरिक लड़ाई के दौरान हिंसा हुई। हालांकि, लड़ाई को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था, लेकिन ग्रामीणों ने लड़ाई आयोजित करने के आदेशों की अवहेलना की।

वार्षिक उत्सव को लेकर विभिन्न गांवों के लोग देवता की मूर्तियों को सुरक्षित करने के लिए लाठी-डंडों से लड़ने के लिए दो समूहों में विभाजित होते हैं।

नेरानिकी, नेरानिकी टांडा और कोट्टापेटा गांवों के ग्रामीण अरीकेरा, अरीकेरा टांडा, सुलुवई, एलारथी, कुरुकुंडा, बिलेहाल और विरुपपुरम के भक्तों से लड़ते हैं।

भगवान शिव ने भैरव का रूप धारण किया और दो राक्षसों, मणि और मल्लसुर को लाठी से मार दिया था। इस पारंपरिक लाठी लड़ाई में राक्षसों की ओर से ग्रामीणों का समूह दूसरे समूह से मूर्तियों को छीनने की कोशिश करते हैं, जिसे भगवान की टीम कहा जाता है। वे मूर्तियों के लिए लाठियों से लड़ते हैं।

कुरनूल और आसपास के जिलों के विभिन्न हिस्सों और यहां तक कि पड़ोसी तेलंगाना और कर्नाटक के हजारों लोग पारंपरिक अनुष्ठान को देखने के लिए गांव में इकट्ठा होते हैं, जो दशहरा उत्सव का एक हिस्सा है।

लड़ाई में हर साल कई लोगों को चोटें आती हैं, लेकिन भक्त इन चोटों को एक अच्छा शगुन मानते हैं। अधिकारी हर साल ग्रामीणों को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं और यहां तक कि निषेधाज्ञा भी लगाते हैं, लेकिन वे इस आधार पर आदेशों की अवहेलना करते हैं कि लड़ाई उनकी परंपरा का हिस्सा है।

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