मध्य प्रदेश के शिवपुरी में सरकारी कोष में सेंधमारी, आरक्षक पर हुई कार्रवाई

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शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में सरकारी कोष में सेंधमारी के मामले सामने आ रहे हैं। अब एक नया मामला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में सामने आया है। कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात आरक्षक ने घोटाले को अंजाम दे दिया। कंप्यूटर ऑपरेटर आरक्षक अपनी पत्नी के खाते में सरकारी बिलों का भुगतान करता रहा और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं हुई।

आरोपी की पत्नी राजनीतिक दल से जुड़ी हुई बताई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ आरक्षक मुकेश सविता पिछले कई सालों से सरकारी बिलों में सेंध लगाता आ रहा है।

वह जो भी बिल भुगतान के लिए प्रोसेस में लाता था, उक्त बिल में वह कुछ कर्मचारियों का अथवा कुछ मदों का भुगतान अपनी पत्नी के खाते में डाल रहा था। भोपाल में वित्त विभाग के सामने यह बात आई कि शिवपुरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लगातार कुछ संदिग्ध भुगतान पिछले कई सालों से हो रहे हैं।

प्रारंभिक तौर पर की गई पड़ताल में घोटाले के सुराग हाथ लगे। इस पर वित्त विभाग में ग्वालियर जेडी कोष लेखा को जांच के आदेश जारी किए। ग्वालियर जेडी कोष लेखा ने दो सहायक लेखा अधिकारियों की टीम बनाकर शिवपुरी पुलिस अधीक्षक कार्यालय भेजी।

यह टीम पिछले कुछ दिनों से एक-एक बिल की जांच करने में लगी हुई है। अभी यह जांच जारी है और आगामी एक सप्ताह बाद यह स्पष्ट हो सकेगा कि वास्तविकता में कितने रुपये का बोगस भुगतान किया गया है।

वित्त विभाग ने प्रारंभिक तौर पर संदिग्ध भुगतान 2018-19 से पकड़े हैं। ऐसे में वित्त विभाग द्वारा बिलों की जांच के लिए गठित की गई टीम को वर्ष 2018-19 से किए गए सभी भुगतानों की जांच करने के निर्देश दिए हैं।

बिलों के क्रास-चेक उपरांत वित्त विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर स्तर के अधिकारी शिवपुरी पहुंचेंगे जो पूरे मामले को बारीकी से चेक करेंगे।

सूत्र बताते हैं कि जिस पुलिस जवान को कंप्यूटर ऑपरेटर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी वह एसपी आफिस के कार्यालय का कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं, बल्कि फील्ड का कर्मचारी था। चूंकि, उसे कंप्यूटर का ज्ञान था, इसलिए पूर्व में शिवपुरी में पदस्थ रहे अधिकारियों के सहयोग से कंप्यूटर ऑपरेटर बन गया। उसने सिस्टम का फायदा उठाकर इस पूरे घोटाले का अंजाम दिया है।

पुलिस अधीक्षक रघुवंश भदौरिया ने भी इस पूरे मामले के संज्ञान में आने के उपरांत तत्काल कार्रवाई करते हुए आरक्षक मुकेश सविता को पद से निलंबित कर दिया है। इसके अलावा वित्त विभाग के जांच दल से अतिरिक्त पुलिस विभाग का एक जांच दल गठित किया है। यह जांच दल भी अपने स्तर पर पूरे घोटाले की जांच करेगा।

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