सेनाध्यक्ष ने किया स्वदेशी मानव रहित विमान प्रणाली व लुटरिंग म्यूनिशन्स का मुआयना

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नई दिल्ली। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने स्वदेशी तकनीक से विकसित यूएएस (मानव रहित विमान प्रणाली), काउंटर-यूएएस और लुटरिंग म्यूनिशन्स का मुआयना किया है। गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार भारत में निर्मित ‘लुटरिंग म्यूनिशन्स’ ड्रोन का युद्ध में प्रयोग हुआ। भारतीय सेना के इस आधुनिक व आत्मघाती ड्रोन ने कई सेक्टरों में एक साथ हमले किए थे। इन ड्रोन हमलों में दुश्मन की सेना को काफी नुकसान पहुंचा था।

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी 27 मई को झांसी के निकट स्थित बबीना फील्ड फायरिंग रेंज पहुंचे थे। यहां उन्होंने स्वदेशी तकनीक से विकसित यूएएस (मानव रहित विमान प्रणाली), काउंटर-यूएएस और लुटरिंग म्यूनिशन्स का प्रदर्शन देखा। इस मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय रक्षा उद्योग से जुड़ी कंपनियों द्वारा उन्नत स्वदेशी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। इन प्रणालियों को सेना की युद्ध क्षमता बढ़ाने, बल सुरक्षा सुनिश्चित करने और लक्ष्यों पर सटीक हमले के लिए डिजाइन किया गया है।

इन अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग पर्वतीय, रेगिस्तानी और जंगल जैसे विविध क्षेत्रों में प्रभावी संचालन के लिए किया जा सकेगा। जनरल द्विवेदी ने स्वदेशी प्रयासों की सराहना की। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक ये स्वदेशी प्रणाली भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहने में सहायता मिलेगी।

गौरतलब है कि स्वदेशी हथियारों व उपकरणों की मदद से भारत ने पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया था। दरअसल भारतीय सेना ने पाकिस्तान में व पीओके में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमला किया था। इसके बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सैन्य व नागरिक ठिकानों पर हमले किए गए। भारत ने जवाबी कार्रवाई में लाहौर स्थित पाकिस्तानी सेना की एचक्यू-9 एयर डिफेंस यूनिट को तबाह कर दिया और कई रडार ठिकानों को निष्क्रिय कर दिया था।

ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार भारत में निर्मित ‘लूटरिंग म्यूनिशन्स’ ड्रोन का युद्ध में प्रयोग हुआ है। इन भारतीय आत्मघाती ड्रोन से पाकिस्तान के कई इलाकों व पोस्ट पर एक साथ हमले किए गए थे। रक्षा सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही हारोप ड्रोन ने भी पाकिस्तान पर जमकर कहर बरपाया है। मूलत इजराइल के ये ड्रोन भी अब भारत में ही बनते हैं। इन ड्रोनों ने कराची और लाहौर में दुश्मन के एयर डिफेंस को निशाना बनाया था। वहीं पाकिस्तान की बात करें तो पाकिस्तान अभी भी इस तरह के हथियारों के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। माना जा रहा है कि तुर्की ने भी पाकिस्तान को युद्धक ड्रोन की आपूर्ति की थी। लेकिन चीन और तुर्की के ये ड्रोन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम के सामने बुरी तरह विफल हो गए।

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