केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय में विनोद कुमार शुक्ल के कथा साहित्य पर हुआ गहन शोध, भाषा और संरचना की दृष्टि से प्रस्तुत हुआ अभिनव अध्ययन

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नई दिल्ली। समकालीन हिंदी साहित्य के विख्यात और विशिष्ट रचनाकार विनोद कुमार शुक्ल के कथा साहित्य पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण शोध कार्य केरल केंद्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड के हिंदी विभाग में सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया गया। यह शोध कार्य विश्वविद्यालय के शोधार्थी डॉ. रोहित जैन द्वारा संपन्न किया गया है, जिनका निर्देशन विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. सीमा चंद्रन ने किया।

भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम को प्राप्त जानकारी के अनुसार, शोध का विषय “भाषा और संरचना की दृष्टि से विनोद कुमार शुक्ल का कथा साहित्य: एक अध्ययन” रहा, जिसमें लेखक की कहानियों और उपन्यासों की भाषिक संवेदनशीलता तथा रचनात्मक संरचना का सूक्ष्म विश्लेषण प्रस्तुत किया गया। शोध में यह उजागर किया गया कि विनोद कुमार शुक्ल की रचनाएँ सामान्य जीवन स्थितियों और शब्दों के माध्यम से असाधारण संवेदनाओं को अत्यंत सहजता से व्यक्त करती हैं। उनकी भाषा में कविता जैसी लयात्मकता और संरचना में मौन व ठहराव की विशिष्ट सौंदर्यात्मकता परिलक्षित होती है।

डॉ. रोहित जैन ने विशेष रूप से “दीवार में एक खिड़की रहती थी” जैसी रचनाओं के माध्यम से यह स्थापित किया कि विनोद जी का कथा साहित्य पारंपरिक कथा-ढाँचों से भिन्न होते हुए भी पाठकों को एक गहन आत्मीय अनुभव प्रदान करता है। उनकी रचनाओं में जटिलता नहीं, बल्कि विचारों की सरलता और गहराई है, जो पाठकों के साथ एक अंतर्मनात्मक संवाद स्थापित करती है।

इस शोध प्रस्तुति में विश्वविद्यालय के शोधार्थी अंकुर सियोते, धनराज, आशीष कुमार, मनोज सहित अनेक विद्यार्थी सम्मिलित हुए। वहीं, ऑनलाइन माध्यम से डॉ. प्रभांशु शुक्ला, डॉ. मंज़ीव, डॉ. प्रेमचंद, डॉ. यशपाल, दीक्षा कुमारी तथा अन्य शोधार्थियों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और भी समृद्ध किया।

सभी प्रतिभागियों ने डॉ. रोहित जैन के शोध कार्य की सराहना की और विषय की गंभीरता को लेकर विस्तृत संवाद भी किया। यह आयोजन न केवल हिंदी कथा साहित्य के सौंदर्यात्मक पक्षों को समझने का माध्यम बना, बल्कि यह अकादमिक दृष्टि से भी अत्यंत प्रेरणादायक सिद्ध हुआ।

हिंदी विभाग द्वारा आयोजित यह शोध प्रस्तुति हिंदी साहित्य के गहन अध्ययन को नई दृष्टि और विमर्श प्रदान करने की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास रहा।

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