By Rohit Singh Gaharwar,
Editor-in-Chief,
Bhopalbulletin.com
भोपाल। राजधानी भोपाल के कोकता बायपास स्थित ‘Trinity’ कालेज (वर्तमान में Prestige कालेज) की जयराम एजुकेशन सोसायटी के उपाध्यक्ष कैलाश चंद्र जैन और संचालक विजय हरिरमानी पर गंभीर आरोप लगाते हुए अभय राजन सक्सेना ने भोपाल कलेक्टर को शिकायत की है। भोपाल निवासी अभय राजन सक्सेना ने आज गुरुवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता में आरोप लगाए हैं कि उनके द्वारा कलेक्टर भोपाल को दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि जयराम एजुकेशन सोसायटी ने राजस्व अधिकारियों के साथ षड्यंत्र रचते हुए उनके परिवार की कीमती जमीन पर कब्जा कर लिया और राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर अपनी जमीन की सीमा का विस्तार किया है।
खसरा नंबरों के साथ विस्तृत आरोप…
आवेदक अभय राजन सक्सेना ने भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम को बताया कि उनके दादा, स्व.मुंशी रघुवर दयाल सक्सेना के नाम पर ग्राम हताईखेड़ा, तहसील हुजूर, जिला भोपाल में खसरा नंबर 154/1 (रकबा 35 एकड़) और खसरा नंबर 154/2 (रकबा 14.82 एकड़) भूमि दर्ज थी। बीते वर्ष 1959 के राजस्व अभिलेखों के अनुसार, यह भूमि उनके स्वामित्व में थी। वसीयत के अनुसार, खसरा नंबर 154/1 की 35 एकड़ भूमि उनके पोतों, अजय राजन सक्सेना, विजय राजन सक्सेना, अभय राजन सक्सेना, उदय राजन सक्सेना और संजय राजन सक्सेना के नाम दर्ज की गई थी। वर्ष 1984 में वैध प्रक्रिया के तहत इस भूमि का नामांतरण कर सह-खातेदारों के नाम दर्ज किया गया, जो पंजी क्रमांक 7 के आदेश दिनांक बीते 14 अप्रैल 1984 और अन्य दस्तावेजों में दर्ज है। वर्ष 1996 में, तहसीलदार हुजूर ने आदेश संख्या 02/31-27/95-96 के माध्यम से भूमि का बंटवारा कर प्रत्येक वारिस को 7 एकड़ का हिस्सा प्रदान किया। भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम के पास इन सभी सरकारी दस्तावेजों की कॉपी मौजूद है।
विवाद का केंद्र: जयराम एजुकेशन सोसायटी द्वारा की गई हेरफेर…
शिकायत के अनुसार, जयराम एजुकेशन सोसायटी ने राजस्व कर्मचारियों के साथ मिलकर बीते वर्ष 1959 में दर्ज खसरों में हेरफेर की है। खसरा नंबर 154/1 और 154/2 की स्पष्ट सीमाएं पहले से निर्धारित थीं, लेकिन सोसायटी ने राजस्व नक्शों में बदलाव कर खसरा नंबर 154/1/5/2 [प्रतीक राजन सक्सेना (आवेदक अभय राजन सक्सेना के पुत्र) की भूमि], को खसरा नंबर 154/1/5/3 के रूप में दर्ज कर दिया। इसके अलावा, राजस्व विभाग भोपाल द्वारा प्रतीक राजन सक्सेना की भूमि को जयराम एजुकेशन सोसायटी के नाम पर कर दिया गया। खास बात यह है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 1959 के सरकारी नक्शों को दरकिनार करते हुए इस भूमि का नया नक्शा बना डाला, जिसमें भूमि की सभी बटांने गायब हैं। मतलब कि, जिस जमीन में करीब दो दशकों से बटांने मौजूद थी, वर्तमान में उसमें बटांने गायब हैं। भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम के पास इस नक्शे की कॉपियां मौजूद हैं।
रजिस्ट्रियां में हेरफेर और स्टांप ड्यूटी में गड़बड़ी…
आवेदक अभय राजन सक्सेना द्वारा भोपाल कलेक्टर को दर्ज की गई शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि कैलाश चंद्र जैन ने बीते 7 जून 2007 को एक ही भूखंड की दो अलग-अलग रजिस्ट्रियां करवाईं। यह कदम स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए उठाया गया था, जो कि पूर्ण तरीके से नियमों का उल्लंघन है। इससे सरकार के राजस्व को भी नुकसान हुआ है। इस फर्जीवाड़े को लेकर आवेदक द्वारा बीते 24 नवम्बर 2024 को कलेक्टर ऑफ स्टांप को लिखित आवेदन सौंपा गया है। करीब 2 महीने का समय बीते जाने के बाद भी इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम के पास शिकायत की कॉपी मौजूद है।
भूमि अर्जन और मुआवजा विवाद…
बीते वर्ष 2007-08 में भोपाल बायपास के निर्माण के दौरान, खसरा नंबर 154/1 और 154/2 की भूमि का एक हिस्सा सरकार द्वारा अधिगृहित किया गया था। जयराम एजुकेशन सोसायटी ने इस भूमि के मुआवजे के रूप में 3,15,988 रुपए प्राप्त भी किए थे। सरकारी आंकड़ों एवं नक्शों के अनुसार मुआवजा प्राप्त करने के बाद, जयराम एजुकेशन सोसायटी के पास केवल 10.50 एकड़ भूमि शेष रहनी चाहिए थी। इसके बावजूद, राजस्व विभाग के नक्शों में सोसायटी की 11.90 एकड़ की बटांन दर्शाई गई है। सोसायटी द्वारा 11.90 एकड़ का एफिडेविट भी राजस्व विभाग को सौंपा गया है, जो पूर्ण रूप से अवैध है। भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम के पास इससे संबंधित सभी सरकारी रिकार्ड एवं नक्शों की कॉपी मौजूद है।
आवेदक की मांग, दंडात्मक कार्रवाई हो…
आवेदक अभय राजन सक्सेना ने कलेक्टर भोपाल से मांग की है कि जयराम एजुकेशन सोसायटी के उपाध्यक्ष कैलाश चंद्र जैन, संचालक विजय हरिरमानी और संबंधित राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कूटरचना, हेरफेर और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
प्रमाण और दस्तावेज संलग्न…
आवेदक अभय राजन सक्सेना द्वारा भोपाल कलेक्टर को लिखित शिकायत के साथ नक्शे, पंजीकरण दस्तावेज, और राजस्व रिकॉर्ड की प्रतियां भी प्रस्तुत की गई हैं। यह मामला सरकारी अभिलेखों में गंभीर कूटरचना और राजस्व हेरफेर का है, जिसमें आवेदक की पारिवारिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है।
7 आरटीआई लगाईं, नहीं हो रही कार्रवाई…
आवेदक अभय राजन सक्सेना ने भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम से बात कर यह आरोप लगाया है इस मामले को लेकर उन्होंने बीते 21 अक्टूबर 2024 को 7 अलग-अलग आरटीआई लगाईं थी। एक महीने तक संबंधित विभाग से आरटीआई को जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने बीते 16 नवम्बर 2024 को भोपाल कलेक्टर से अपील की थी। इस मामले को लेकर बीते 26 दिसंबर 2024, को आवेदक की कलेक्टर भोपाल से मुलाकात भी हुई। कलेक्टर द्वारा उन्हें आश्वासन दिया था कि जल्द ही आवेदक की शिकायत का निराकरण किया जाएगा, लेकिन आज दिनांक तक आवेदक अभय राजन सक्सेना को न्याय प्राप्त नहीं हुआ।
सरकारी Authentic नक्शें एवं उसके पीछे का सच, सभी नक्शें भोपाल बुलेटिन डॉट कॉम के पास मौजूद हैं…