नई दिल्ली। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत काम करने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मस्तिष्क से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए कुछ नई दवाएं खोजी हैं। ये बीमारियां, जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन, दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही हैं और इनका इलाज ढूंढना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
इस शोध को ‘ड्रग डिस्कवरी टुडे’ नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों ने इसमें बताया है कि पेप्टिडोमिमेटिक्स नामक विशेष प्रकार की दवाएं इन बीमारियों के इलाज में कारगर हो सकती हैं। ये दवाएं न्यूरॉन्स की वृद्धि और उनकी रक्षा करने में मदद करती हैं। पेप्टिडोमिमेटिक्स दवाएं कृत्रिम रूप से बनाई जाती हैं और ये शरीर में मौजूद प्राकृतिक प्रोटीन की तरह काम करती हैं। ये दवाएं ज्यादा टिकाऊ होती हैं और मस्तिष्क तक आसानी से पहुंच सकती हैं। इससे इनकी असर करने की क्षमता लंबे समय तक बनी रहती है।
अब तक जिन न्यूरोट्रोफिन्स को इन बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता था, वे जल्दी खराब हो जाते थे और शरीर में ठीक से काम नहीं कर पाते थे। इसलिए वैज्ञानिकों ने ऐसे कृत्रिम यौगिक बनाए हैं जो इन प्राकृतिक प्रोटीन की तरह काम करें लेकिन ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित हों। प्रोफेसर आशीष के. मुखर्जी के नेतृत्व में की गई इस रिसर्च में यह भी बताया गया है कि पेप्टिडोमिमेटिक्स दवाओं को इस तरह से डिजाइन किया जा सकता है कि वे केवल उस जगह पर असर करें जहां जरूरत हो। इससे दवा के साइड इफेक्ट्स की संभावना भी कम हो जाती है।
प्रोफेसर आशीष के. मुखर्जी ने आगे बताया कि पेप्टिडोमिमेटिक्स का एक बड़ा फायदा यह है कि ये हमारे शरीर में बनने वाले न्यूरोट्रोफिन से ज्यादा स्थिर और आसानी से उपलब्ध होते हैं। इसका मतलब है कि इन्हें दिमाग तक ज्यादा असरदार तरीके से पहुंचाया जा सकता है और ये वहां ज्यादा समय तक अपना काम कर पाते हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इन दवाओं का उपयोग अन्य बीमारियों जैसे कैंसर में भी किया जा सकता है, और भविष्य में इनके आधार पर नई दवाएं बनाई जा सकती हैं। इस रिसर्च से उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में पेप्टिडोमिमेटिक्स दवाएं मस्तिष्क की गंभीर बीमारियों के इलाज में एक नई उम्मीद बनकर सामने आएंगी।