एपस्टीन मामले में आरोप लगाने वाली वर्जीनिया गिफ्रे ने 41 वर्ष की आयु में आत्महत्या की

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नई दिल्ली। जेफरी एपस्टीन के शोषण और तस्करी नेटवर्क को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वर्जीनिया गिफ्रे ने 41 साल की उम्र में आत्महत्या कर ली।

उनके परिवार ने शुक्रवार को पुष्टि की कि उनका निधन ऑस्ट्रेलिया के नीर्गैबी में हुआ। गिफ्रे ने साहस के साथ एप्सटीन और उनके प्रभावशाली सहयोगियों के खिलाफ आरोप लगाए। उन्होंने यौन शोषण और तस्करी से प्रभावित लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और न्याय की लड़ाई लड़ी। अंत में उन्होंने ऐसे लोगों को सजा दिलाई।

फ्लोरिडा में जन्मीं और पली-बढ़ीं गिफ्रे को बचपन में ही एक पारिवारिक परिचित से यौन शोषण का सामना करना पड़ा। इन शुरुआती आघातों ने उनकी किशोरावस्था को बहुत प्रभावित किया। वह बेघर भी हो गईं। इसी दौर में उनकी मुलाकात एप्सटीन की करीबी सहयोगी घिसलीन मैक्सवेल से हुई।

1999 से 2002 के बीच, यह आरोप लगाया गया है कि एप्स्टीन ने गिफ्रे को कई बड़े लोगों के पास गलत कामों के लिए भेजा था। उसने जिन लोगों के नाम लिए, उनमें ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू और फ्रांस के मॉडलिंग एजेंट जीन-ल्यूक ब्रनेल शामिल थे। दोनों ने इन आरोपों से इनकार किया है।

गिफ्रे की दी गई पूरी जानकारी और लगातार कोशिशों की वजह से ही कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ पाई और उनके प्रयासों ने 2021 में मैक्सवेल को यौन तस्करी और संबंधित अपराधों के लिए दोषी ठहराने में अहम भूमिका निभाई। मैक्सवेल अभी एप्स्टीन के लिए कम उम्र की लड़कियों को फंसाने और तैयार करने के लिए जेल में सजा काट रही है।

दूसरी ओर एप्सटीन, जिन पर यौन तस्करी के कई आरोप थे, 2019 में जेल में मृत पाए गए। उनकी मृत्यु को आधिकारिक तौर पर आत्महत्या करार दिया गया।

गिफ्रे के परिवार ने उन्हें “यौन शोषण और तस्करी के खिलाफ एक साहसी योद्धा” बताया। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनके अनुभवों का भावनात्मक बोझ “उनके लिए सहन करना बहुत मुश्किल हो गया था।”

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