नई दिल्ली। मध्य प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर कांग्रेस ने सस्पेंस खत्म कर दिया है. पार्टी ने अशोक सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया. अशोक सिंह मुख्य रूप से दिग्विजय सिंह खेमे के नेता माने जाते हैं. वह ओबीसी हैं और खास बात ये है कि अशोक सिंह, सिंधिया विरोधी रहे हैं. दिग्गी के फैसले पर राहुल गांधी ने भी मुहर लगाई और कमलनाथ भी मान गए.
बता दें, राज्यसभा चुनाव के लिए राहुल की पहली पसंद मीनाक्षी नटराजन थीं, जो कि ब्राह्मण समाज से आती हैं. लेकिन आखिरकार उनका टिकट कट गया. कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव भी अशोक सिंह को बहुत मानते हैं. इसलिए उनके समर्थन में ट्वीट भी किया है. राहुल की सबसे करीबी ब्राह्मण मीनाक्षी के अलावा पहले ओबीसी प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव भी लाइन में थे. लेकिन अशोक सिंह यादव ने बाजी मार ली. कांग्रेस के इस फैसले ने सभी को चौंका दिया है.
बता दें, अशोक सिंह ग्वालियर से आते हैं. वह ग्वालियर लोकसभा सीट पर लगातार तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं. ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में उनका मजबूत राजनीतिक आधार है. अशोक सिंह कांग्रेस के धनी नेता हैं. उन्होंने हमेशा चुनावों के दौरान पार्टी और अन्य उम्मीदवारों को फंड दिया है. कांग्रेस को भले ही पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अन्य क्षेत्रों की तुलना में ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में काफी बेहतर प्रदर्शन किया.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने और पार्टी के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह के भिंड निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव हारने के बाद, कांग्रेस ने इस क्षेत्र से एक वरिष्ठ नेता को आगे बढ़ाया. पार्टी के एक नेता ने कहा कि अशोक सिंह ने कांग्रेस को कई साल दिए हैं, यही वजह हो सकती है कि पार्टी ने उनकी सेवा को स्वीकार किया. दूसरा, वह ऐसे नेता हैं जिन्हें सभी गुटों-कमलनाथ और दिग्विजय सिंह-का समर्थन हासिल है.