हिंदू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव गढ़ने वालों का मुंह काला हुआ: साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर

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भोपाल। 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट से 31 जुलाई को बरी होने के बाद रविवार को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पहली बार भोपाल में अपने आवास पर पहुंचीं। भोपाल पहुंचने पर उन्होंने कोर्ट के फैसले पर कहा कि यह भगवा की जीत है और हिंदू आतंकवाद का झूठा नैरेटिव गढ़ने वालों का मुंह काला हुआ।

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अपनी गिरफ्तारी और जांच के संदर्भ में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह पर गंभीर आरोप लगाए।

मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अपनी गिरफ्तारी और जांच के दौरान हुए व्यवहार के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें जांच एजेंसियों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था।

उन्होंने दावा किया कि हां, मुझे मजबूर किया गया था। मैं दबाव में नहीं आई और मैंने किसी का नाम नहीं लिया, किसी को झूठा नहीं फंसाया। इसलिए, मुझे बहुत प्रताड़ित किया गया।

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले में उन्हें 17 साल तक अपमान और यातना का सामना करना पड़ा, और यह फैसला उनके लिए सत्य की जीत है। अदालत का फैसला उन लोगों के लिए करारा जवाब है जिन्होंने ‘भगवा आतंकवाद’ या ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने विशेष रूप से कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने ‘सनातन आतंकवाद’ और ‘हिंदुत्व आतंकवाद’ जैसे शब्दों का उपयोग किया था।

प्रज्ञा ने इन सभी को एक ही श्रेणी के लोग और कांग्रेस के सदस्य बताते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने हिंदुओं को बदनाम करने के लिए यह नैरेटिव बनाया। आखिरकार सत्य की जीत हुई है। धर्म और सत्य हमारे पक्ष में थे, इसलिए हमारी जीत तय थी। सत्यमेव जयते। मैंने यह पहले भी कहा था और अब यह सिद्ध हो गया है। विरोधियों के, विरोधियों के मुंह काले हुए हैं। उन्हें जवाब मिल गया है। देश हमेशा धर्म और सत्य के साथ रहा है और हमेशा रहेगा।

उन्होंने कोर्ट के फैसले को सत्य और धर्म की जीत करार देते हुए उन लोगों पर निशाना साधा, जिन्होंने भगवा आतंकवाद या हिंदू आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।

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