पाकिस्तान: राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने 27वें संविधान संशोधन विधेयक को दी मंजूरी

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने संसद के दोनों सदनों की ओर से पारित 27वें संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।

राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ, 27वां संविधान संशोधन विधेयक अब संविधान का हिस्सा बन गया है। विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बीच सीनेट ने विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन विधेयक को दूसरी बार पारित कर दिया।

परिणाम की घोषणा करते हुए, सीनेट के अध्यक्ष यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि विधेयक के पक्ष में 64 और विरोध में चार मत पड़े, इसलिए यह प्रस्ताव सीनेट के कुल सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित हो गया है।

इससे पहले, संसद का माहौल काफी तनाव भरा रहा। सांसदों ने विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन विधेयक पर एक-एक खंड पर मतदान किया, जबकि विपक्षी सीनेटरों ने ना मंजूर (अस्वीकार्य) के नारे लगाए, जिससे गिलानी को सदन में बार-बार शांति बनाए रखने की अपील करनी पड़ी।

कानून मंत्री आजम नजीर तरार ने एक दिन पहले नेशनल असेंबली की ओर से कुछ संशोधनों के साथ पारित किए जाने के बाद इस विधेयक को उच्च सदन में पुनः पेश किया। इस विधेयक को इस सप्ताह की शुरुआत में सीनेट द्वारा एक बार पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी, और नए बदलावों के लिए इसमें नए सिरे से मतदान की आवश्यकता थी।

इससे पहले, नेशनल असेंबली ने 27वें संविधान संशोधन को दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया था। कुल 234 सदस्यों ने इसके पक्ष में और चार ने इसके विरुद्ध मतदान किया, जबकि विपक्ष ने कार्यवाही का बहिष्कार किया।

इस संशोधन के बाद प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति सेना प्रमुख और रक्षा बल प्रमुख की नियुक्ति करेंगे। इसका एक प्रस्ताव काफी चर्चा में था जिसके मुताबिक ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष का पद 27 नवंबर, 2025 को समाप्त कर दिया जाएगा। संशोधन के तहत, पाकिस्तान के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अपने कार्यकाल की समाप्ति तक इस पद पर बने रहेंगे। उसके बाद, यह पद सर्वोच्च न्यायालय या संघीय संवैधानिक न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को सौंप दिया जाएगा।

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