मध्य प्रदेश : नृशंस हत्या के दोषी चंपालाल को मौत की सजा, डीएनए साक्ष्य बना निर्णायक

Murder

भोपाल। खंडवा स्थित द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अनिल चौधरी की खंडवा अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में 23 वर्षीय चंपालाल उर्फ ​​नंदू पुत्र जालम मेहर को मौत की सजा सुनाई।

छनेरा गांव, पंधाना निवासी आरोपी को 12 दिसंबर, 2024 को रामनाथ बिलोटिया की नृशंस हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। यह मामला पीड़ित की पत्नी शांति बाई बिलोटिया द्वारा पंधाना पुलिस थाने में दर्ज कराई गई एक भयावह घटना से जुड़ा है।

उनके बयान के अनुसार, 12 दिसंबर, 2024 की रात लगभग 2:30 बजे, उनके पति रामनाथ पेशाब करने के लिए घर से बाहर निकले। चीख-पुकार सुनकर शांति बाई दौड़कर बाहर आईं और देखा कि नंदू रामनाथ पर जादू-टोना करने का आरोप लगा रहा था और कुल्हाड़ी से उस पर हमला कर रहा था।

उनके चीखने-चिल्लाने के बावजूद, नंदू ने हमला जारी रखा और अंततः रामनाथ का सिर धड़ से अलग कर दिया। नंदू ने पड़ोसी रामदयाल धानक और नारायण सहित आसपास के लोगों को कुल्हाड़ी से धमकाया तो शांति बाई घबराकर अंदर भाग गई।

बोरगांव थाने के प्रभारी उप-निरीक्षक रामप्रकाश यादव ने तुरंत कार्रवाई करते हुए नंदू को घटनास्थल से ही पकड़ लिया और हत्या का हथियार जब्त कर लिया।

पंधाना थाने में नंदू के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 103(1) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

उप-निरीक्षक यादव के नेतृत्व में वैज्ञानिक तरीके से जांच की गई। टीम ने रामनाथ का सिर और धड़ अलग-अलग बरामद किया और डीएनए रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि नंदू के कपड़ों और कुल्हाड़ी पर लगा खून मृतक का था।

सहायक जिला अभियोजन अधिकारी विनोद कुमार पटेल ने डीएनए रिपोर्ट और उप-निरीक्षक यादव की गवाही सहित ठोस सबूत पेश करते हुए मामले की पैरवी की।

अदालत ने सबूतों को निर्णायक माना और नंदू को मौत की सजा सुनाई। पुलिस अधीक्षक मनोज राय ने मामले पर कड़ी निगरानी रखते हुए इसे एक गंभीर अपराध घोषित किया। उन्होंने सब-इंस्पेक्टर यादव की उत्कृष्ट जांच के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा की।

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