इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘रण संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें महू स्थित मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) ने आईआईटी चेन्नई के सहयोग से विकसित अपने स्वदेशी 5जी नेटवर्क का प्रदर्शन किया।
यह 5जी प्रणाली सेना के संचार, साइबर युद्ध, आईसीटी, ईडब्ल्यू और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण को बेहतर बनाती है और साथ ही उन्नत अनुसंधान और सुरक्षित सैन्य संचार को भी सक्षम बनाती है।
सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज (सीएलएडब्ल्यू) के महानिदेशक दुष्यंत सिंह ने आईएएनएस से खास बातचीत में बताया कि रण संवाद एक उद्घाटन संगोष्ठी है, जो बहुत ही अनोखे तरीके से आयोजित हो रही है। अब तक हम रक्षा मामलों पर ऐसे सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करते रहे हैं, जिनमें ज्यादातर शिक्षा जगत और सेवानिवृत्त दिग्गज शामिल होते हैं। यह पहली बार है जब हम उन लोगों को वास्तव में एक अवसर दे रहे हैं, जो आज युद्ध का अभ्यास कर रहे हैं।
एमसीटीई के प्रशिक्षक लेफ्टिनेंट कर्नल नैनीश लोहाकरे कहते हैं कि सबसे पहले, स्वदेशी परियोजना आईआईटी मद्रास में शुरू की गई थी और हम उस मिशन का हिस्सा रहे हैं। हमने एमसीटीई में एक राष्ट्रीय 5जी टेस्टबेड स्थापित किया है, जो अब भारतीय सेना के लिए हमारे अपने अनुप्रयोगों के परीक्षण के लिए निजी 5जी नेटवर्क के रूप में कार्य कर रहा है। हम यहां राष्ट्रीय 5जी मिशन का टेस्टबेड देख रहे हैं, जिस पर हम अपने परिसर में बनाए गए निजी 5जी नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न अनुप्रयोगों का परीक्षण कर रहे हैं।
वारफेयर स्टडीज के महानिदेशक अशोक कुमार ने सशस्त्र बलों में नई तकनीकों के समावेश पर जानकारी दी। उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में भी बात की।
वहीं, भारतीय वायुसेना के एयर मार्शल एन कपूर ने देश की पश्चिमी सीमाओं (पाकिस्तान सीमा) के बारे में बात की। उन्होंने भारतीय वायुसेना में तकनीक की भूमिका और रण संवाद के महत्व पर भी जानकारी दी।