मध्य प्रदेश : सीधी की सियासत में हेल्थ विवाद, अस्पताल की व्यवस्था पर उठे सवाल

Health

सीधी। मध्य प्रदेश की राजनीति इन दिनों सीधी के जिला अस्पताल को लेकर गरमाई हुई है। बात सिर्फ अस्पताल की व्यवस्था की नहीं, बल्कि 7 करोड़ रुपए के स्वास्थ्य उपकरण बजट की है, जो अब जिले की सियासत का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है।

दरअसल, शुक्रवार को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला सीधी जिले पहुंचे थे। उनका उद्देश्य था, जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं की समीक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार को लेकर चर्चा करना।

निरीक्षण के दौरान राजनीतिक तापमान बढ़ गया। उपमुख्यमंत्री ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया और सांसद डॉ. राजेश मिश्रा व विधायक रीति पाठक की मौजूदगी में कमरे में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लंबी चर्चा की। इसी मीटिंग में सामने आया कि सीधी को मेडिकल कॉलेज नहीं मिल पाएगा, बल्कि जिला अस्पताल को नर्सिंग कॉलेज संचालन की अनुमति दी जा सकती है।

लेकिन इसके बाद असली विवाद शुरू हुआ, जब विधायक रीति पाठक ने सवाल उठाया कि 7 करोड़ रुपए की राशि से जो स्वास्थ्य उपकरण खरीदे गए थे, वे अस्पताल में दिखाई क्यों नहीं दे रहे हैं?

उन्होंने उपमुख्यमंत्री के सामने भौतिक सत्यापन की मांग रख दी। विधायक का कहना था कि कागजों पर करोड़ों के उपकरण खरीदे गए बताए जा रहे हैं, लेकिन जमीन पर उनका अता-पता नहीं है। यह जनता के साथ धोखा है और इसकी जांच जरूरी है।

उपमुख्यमंत्री ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए बजट और उपकरणों की सूची को स्वीकार करते हुए क्रॉस चेक कराने की बात कही। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने अधिकारियों से पूरे बजट उपयोग का विवरण और फीजिकल रिपोर्ट मांगी है।

स्थानीय राजनीतिक हलकों में इसे लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। लोग कह रहे हैं कि सीधी जिला अस्पताल अब ‘रेफर सेंटर’ बनकर रह गया है, जहां मरीजों को प्राथमिक इलाज के बजाय रीवा या जबलपुर रेफर कर दिया जाता है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विवाद अब सिर्फ स्वास्थ्य विभाग तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले समय में यह सीधी की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है।

उपमुख्यमंत्री प्रशासनिक जवाबदेही और सुधार के पक्षधर माने जाते हैं। मामले की सच्चाई जल्द सामने आने की उम्मीद है।

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