भोपाल। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी पर शहर में विभिन्न संगठनों और स्थानीय लोगों ने पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मशाल मार्च निकाला। इस अवसर पर शहर की सड़कों पर लोग एकत्रित हुए और गैस त्रासदी में मृतकों और प्रभावितों को याद करते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की। मशाल मार्च की शुरुआत सुबह के समय हुई, जिसमें सामाजिक और नागरिक संगठनों, पीड़ित परिवारों और छात्रों ने हिस्सा लिया। मार्च के दौरान प्लेकॉर्ड और बैनर लेकर लोग चलते रहे, जिन पर त्रासदी के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति, न्याय की मांग और स्वास्थ्य सुधारों की आवश्यकता के संदेश लिखे गए थे।
स्थानीय नेताओं और संगठनों ने इस अवसर पर व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और कहा कि 1984 की घटना ने केवल भोपाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश को औद्योगिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के महत्व का पाठ पढ़ाया। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि पीड़ितों की चिकित्सा, सामाजिक और आर्थिक सहायता लगातार सुनिश्चित की जाए। मशाल मार्च के आयोजकों ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ श्रद्धांजलि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जन-जागरूकता बढ़ाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा और निगरानी उपायों को मजबूत करने का संदेश भी है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे सतर्क रहें और औद्योगिक सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बने।
पीड़ित परिवारों ने कहा कि 41 साल बाद भी त्रासदी के प्रभाव मन, स्वास्थ्य और सामाजिक जीवन पर महसूस किए जाते हैं। मार्च के दौरान समाजसेवी और डॉक्टरों ने भी भाग लिया और पीड़ितों के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार के बारे में जानकारी साझा की। इस मौके पर मीडिया कवरेज भी विशेष रूप से हुआ और राज्य व केंद्र सरकार की ओर से संबंधित विभागों के अधिकारियों ने श्रद्धांजलि सभा में भाग लिया। उन्होंने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद औद्योगिक सुरक्षा नियमों और आपदा प्रबंधन नीतियों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन पीड़ितों की मांगों पर निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है।
शहरवासियों ने मार्च में शामिल होकर यह संदेश दिया कि भोपाल गैस त्रासदी की याद हमेशा ताजा रहेगी और ऐसी मानव-निर्मित आपदाओं से बचने के लिए सभी को सतर्क और जिम्मेदार रहना होगा। मशाल मार्च का समापन त्रासदी स्मारक स्थल पर हुआ, जहां फूल अर्पित किए गए और मौन धारण करके श्रद्धांजलि दी गई।

