दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया-रूस सैन्य सहयोग पर जताई चिंता

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नई दिल्ली। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ताए-यूल ने उत्तर कोरिया और रूस के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे कोरियाई प्रायद्वीप की सुरक्षा को खतरे में पड़ सकती है।

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, चो ने शुक्रवार को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की दूसरी वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में यूक्रेन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ब्रीफिंग के दौरान यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, अगर उत्तर कोरिया उन्नत सैन्य तकनीक या तेल शिपमेंट हासिल करता है, तो इससे कोरियाई प्रायद्वीप की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

उन्होंने कहा, दोनों देशों के बीच सहयोग यूएनएससी प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन हैं और हथियार अप्रसार व्यवस्था को कमजोर करते हैं।

व्हाइट हाउस ने खुलासा किया है कि उत्तर कोरिया ने रूस को सैन्य उपकरण, युद्ध सामग्री और बैलिस्टिक मिसाइलें प्रदान कीं। इनमें से कुछ को 30 दिसंबर, 2 जनवरी और 6 जनवरी को यूक्रेनी लक्ष्यों पर दागा गया।

अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, हथियारों के बदले प्योंगयांग रूस से सैन्य सहायता मांग रहा है, इसमें लड़ाकू विमान, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, बख्तरबंद वाहन, बैलिस्टिक मिसाइल उत्पादन उपकरण या सामग्री और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।

चो ने कहा, मेरी सरकार रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग से बहुत परेशान है। यूक्रेन में उत्तर कोरियाई युद्ध सामग्री और मिसाइलें देखी गई हैं, इससे यूक्रेन में युद्ध के और बढ़ने और लंबे समय तक चलने का भी खतरा है।

चो ने कहा कि सुरक्षा परिषद के लिए अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के अपने मौलिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा, मैं इस लक्ष्य को साकार करने में सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए सुरक्षा परिषद के सदस्य के रूप में कोरिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि करना चाहता हूं।

चो ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि एक ऐसे देश के रूप में जिसने 1950 के दशक में भी युद्ध का अनुभव किया था, कोरिया बहुत अच्छी तरह से जानता है कि सैन्य आक्रामकता से पीड़ित होने का क्या मतलब है।

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