छंगतु में 2025 गोल्डन पांडा अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच आयोजित

Panda

नई दिल्ली। 13 सितंबर की सुबह दक्षिणी चीन के सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु में 2025 गोल्डन पांडा अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक मंच का आयोजन हुआ।

गोल्डन पांडा पुरस्कार की प्रमुख गतिविधियों में से एक इस मंच का विषय था- “भविष्य का निर्माण करने के लिए सभ्यताओं का एकत्रीकरण।” इस अवसर पर देश-विदेश से आए 780 से अधिक मेहमानों ने भाग लिया और कला, संस्कृति तथा विचारों के आदान-प्रदान के ज़रिए विभिन्न सभ्यताओं के बीच आपसी समझ और सीख को बढ़ावा दिया।

मंच में मुख्य भाषण, शिखर वार्ता और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के माध्यम से विचारों और दृष्टिकोणों को साझा किया गया। इसमें अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक सहयोग को गहराने, विभिन्न सभ्यताओं के बीच आपसी प्रतिबिंब को प्रोत्साहित करने और मानवता के साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया।

चीनी और विदेशी अतिथियों ने इस बात पर सहमति जताई कि विविध सभ्यताएं ही विश्व का वास्तविक स्वरूप हैं और उनका आदान-प्रदान व आपसी सीख विकास की अनिवार्य आवश्यकता है। उन्होंने इसे मानव सभ्यता की प्रगति तथा विश्व शांति और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति बताया।

कार्यक्रम में राष्ट्रपति शी चिनफिंग का हाल ही में वैश्विक सभ्यताओं के संवाद पर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को भेजा गया बधाई संदेश भी उल्लेखित किया गया। इसमें उन्होंने ज़ोर दिया था कि समानता, आपसी सीख, संवाद और समावेशिता पर आधारित सभ्यताओं के दृष्टिकोण को बनाए रखना, वैश्विक सभ्यता पहल को लागू करना और संवाद व सहयोग का वैश्विक नेटवर्क बनाना, विभिन्न सभ्यताओं के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व तथा लोगों के बीच मित्रता को प्रगाढ़ बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

अतिथियों ने यह भी कहा कि एससीओ थ्येनचिन शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति शी द्वारा प्रस्तुत वैश्विक शासन पहल आज की ज्वलंत समस्याओं को सुलझाने और साझा भविष्य की दिशा में मानवता को आगे ले जाने में चीन की बुद्धिमत्ता और समाधान को दर्शाती है।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि साझा चुनौतियों से निपटने और बेहतर भविष्य की ओर बढ़ने के लिए संस्कृति और सभ्यता की शक्ति का सहारा लेना होगा। साथ ही, सभी मानव जाति के सामान्य मूल्यों को अपनाते हुए शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति और मीडिया सहित विभिन्न क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को गहराने पर ज़ोर दिया गया, ताकि लोगों के बीच आपसी समझ और सांस्कृतिक एकता को और मजबूत किया जा सके।

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