गुटेरेस ने सुरक्षा पर‍िषद में सुधारों का आह्वान दोहराया

Guterres

नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वर्ष के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करते हुए सुरक्षा परिषद में सुधार करने के अपने आह्वान को दोहराया है ताकि इसे बहु-ध्रुवीय दुनिया में और अधिक प्रतिनिधिक बनाया जा सके, जो “अराजकता के युग में प्रवेश कर रही है।”

संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था की विफलताओं को रेखांकित करते हुए उन्होंने बुधवार को कहा, “वास्तव में हमारी दुनिया को सुरक्षा परिषद में सुधार की सख्त जरूरत है।”

उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को निर्णय लेने और उन्हें लागू करने में सक्षम होना चाहिए, और इसे और अधिक प्रतिनिधि बनना चाहिए।”

विशेष रूप से, उन्होंने कहा कि “यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है कि अफ्रीकी महाद्वीप अभी भी एक स्थायी सीट की प्रतीक्षा कर रहा है, एक ऐसा महाद्वीप जहां शांति बनाए रखने पर परिषद के अधिकांश आदेश केंद्रित हैं।”

गुटेरेस ने पिछले साल शांति और विकास की समस्याओं से निपटने के लिए पांच प्रमुख बिंदुओं के साथ शांति के लिए नया एजेंडा पेश किया था।

परिषद की अपनी आलोचना में, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, “वैश्विक शांति के प्रश्नों का प्राथमिक मंच भू-राजनीतिक अलगाव के कारण गतिरोध में है।”

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “यह अब तक की सबसे खराब स्थिति है।”

उन्होंने कहा, परिषद में आमूल-चूल परिवर्तन करते हुए इसकी “कामकाजी पद्धतियों में सुधार किया जाना चाहिए।”

गुटेरेस ने चेतावनी दी कि शीत युद्ध के दौरान महाशक्ति संबंधों को सामान्‍य करने के लिए जिन तंत्रों का उपयोग किया गया था, वे अब गायब हैं, इसलिए हमारी दुनिया अराजकता के युग में प्रवेश कर रही है।

पूर्व और पश्चिम के स्थायी सदस्यों के प्रतिद्वंद्वी वीटो से त्रस्त ध्रुवीकृत परिषद यूक्रेन युद्ध, हमास-इज़राइल संघर्ष और लाल सागर आतंकवाद जैसे कई संकटों से निपटने में अक्षम साबित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि वह “21वीं सदी और हमारी बढ़ती बहुध्रुवीय दुनिया के अनुरूप अधिक प्रभावी, समावेशी और बहुपक्षवाद के निर्माण के लिए एक गतिशील प्रयास” चाहते हैं।

गुटेरेस ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार का भी आह्वान किया।

उन्होंने लाल सागर, गाजा, यूक्रेन और अफ्रीका में कई स्थानों पर संघर्ष, म्यांमार में तानाशाही, हैती में अराजकता, बाल्कन में जातीय तनाव, जलवायु संकट की ओर इशारा किया।

उन्होंने इन समस्याओं का समाधान सुझाया और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अपील की।

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