भोपाल। लोकसभा की लाभ के पदों संबंधी संयुक्त समिति के अध्यक्ष सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा है कि विधायक चुना जाना सम्मान और विश्वास की बात है। सभी नवनिर्वाचित विधायक समृद्ध लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़कर अपने संवैधानिक दायित्वों और संसदीय परंपराओं का पूरी गरिमा के साथ पालन करें। तर्कपूर्ण तरीके से अपनी बात रखें। वे आज मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसरोवर सभागार में सोलहवीं विधानसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के लिये आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम के तकनीकी सत्र को ‘संसदीय प्रणाली में समितियों की भूमिका’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।
नव निर्वाचित विधायकों को मार्गदर्शन देते हुए सांसद डा सिंह ने कहा कि ज्ञान आधारित आधुनिक समाज में जो पढ़ेगा-लिखेगा, वहीं आगे बढ़ेगा। नियम कानूनों का व्यापक अध्ययन करें और अपना विधिक ज्ञानवर्धन कर जनता के हित की बात पूरी जिम्मेदारी के साथ रखें।
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, सहयोगी वक्ता के रूप में राज्यसभा के पूर्व संयुक्त सचिव प्रदीप चतुर्वेदी और म.प्र. विधानसभा के प्रमुख सचिव ए.पी. सिंह सहित श्रोता के रूप में सभी नवनिर्वाचित विधायक उपस्थित थे।
सांसद डॉ. सिंह ने कहा कि विधायिका का मूल काम नियम-कानून बनाना है। कार्यपालिका से इन नियम-कानूनों का पालन कराने के लिये मॉनिटरिंग करना भी विधायिका का ही काम है। विधायक अपनी यह जिम्मेदारी पूरी क्षमता से निभायें। उन्होंने कहा कि यह नये भारत के निर्माण का कालखण्ड है। मौलिक विचारों और नवाचारों को कार्यरूप में परिणित होते देखने का समय है। नये भारत के निर्माण के लिये हमें दलीय राजनीति से परे एक हो जाना चाहिए। विपक्ष को भी अपनी भूमिका का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायक विधानसभा और इसकी समितियों में अपनी बात रखते समय वाणी और व्यवहार में संयम रखें, अनुशासित रहें। विधायकों का प्रत्येक आचरण रिकार्ड होता है और यह लंबे समय तक याद रखा जाता है। उन्होंने कहा कि संसदीय और विधानसभा समितियां देश और प्रदेश के निर्माण का खाका प्रस्तुत करती हैं। इन समितियों की अनुशंसा के आधार पर ही केन्द्र और राज्य सरकारें नीति निर्माण करती हैं, जो देश व प्रदेश की प्रगति का आधार होती हैं।
सत्र में विधानसभा अध्यक्ष श्री तोमर ने भी नवनिर्वाचित विधायकों को इन समितियों की आवश्यकता और विषय से जुड़ी सभी बारीकियों के बारे में मार्गदर्शन दिया।
सहयोगी वक्ता के रूप में राज्यसभा के पूर्व संयुक्त सचिव श्री प्रदीप चतुर्वेदी ने विधायकों को संसदीय समितियों के प्रकारों व इनके गठन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश विधानसभा में भी अधिकांश समितियां वहीं है, जो संसद में भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि स्थायी, अस्थायी, प्रवर समितियों के अलावा मंत्रालयीन समितियां भी गठित की जाती हैं। ये समितियां जो अनुशंसाएँ करती है, राज्य व केन्द्र सरकार उनका पालन करती हैं। म.प्र. विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री सिंह ने वक्ताओं को शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मान किया।