नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अज्ञात मृत और लापता व्यक्तियों के लिए डीएनए डेटा बैंक स्थापित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर नोटिस जारी किया।सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में केंद्र सरकार, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और अन्य से छह सप्ताह की अवधि के भीतर जवाब मांगा। शीर्ष अदालत द्वारा इस मामले की अगली सुनवाई 1 मार्च को होने की संभावना है।
जनहित याचिका वकील के.सी.जैन द्वारा दायर की गई है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल लगभग 40,000 अज्ञात या लावारिस शव पाए जाते हैं और अज्ञात शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग से लापता व्यक्तियों का मिलान करने और उनका पता लगाने में मदद मिल सकती है।
याचिका में कहा गया है, “डीएनए प्रोफाइलिंग सुविधा की नहीं रहने से 300,000 से अधिक लापता व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों की दुर्दशा बढ़ाती है और कई अज्ञात लाशों की पहचान में बाधा आती है।”
2018 में केंद्र सरकार के यह कहने के बाद कि वह डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए एक कानून लाएगी, सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की कई याचिकाओं का निपटारा कर दिया था। हालांकि, जुलाई 2023 में इसने फिर से पेश किए गए डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक को वापस ले लिया।
जनहित याचिका में कहा गया है कि आश्वासन के बावजूद सरकार द्वारा विधेयक को वापस लेना लापता व्यक्तियों और अज्ञात शवों के संबंध में अस्पष्टता और गैर-कार्रवाई के हालात को कायम रखता है।