भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की ओर से लाडली बहना योजना शुरू किए जाने के साथ पात्र हितग्राहियों को प्रतिमाह 3,000 रुपए तक दिए जाने का ऐलान किया था, वर्तमान में हितग्राहियों को 1250 रुपए प्रति माह दिए जा रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का आरोप है कि सरकार अपने वादे से मुकर रही है लिहाजा लाडली बहनाओं को उनका हक दिलाने के लिए कांग्रेस न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव लगातार लाडली बहनाओं को 3000 रूपए प्रतिमाह दिए जाने की बात कर रहे हैं, मगर वर्तमान में सिर्फ 1250 रुपए प्रतिमाह ही दिए जा रहे हैं। इस तरह लाडली बहनाओं के 1800 रुपए प्रतिमाह चोरी हो रहे हैं। सरकार की ओर से हर बार यही कहा गया जैसे-जैसे हमारी वित्तीय स्थिति सुधरेगी लाडली बहनाओं की राशि में बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। 20 लाख लाडली बहनाओं के नाम काट दिए गए हैं, अगस्त 2023 से आज तक पंजीयन लाडली बहनाओं का नहीं किए गए, नई 25 -30 लाख बहनाएं तैयार हैं यह लाभ लेने के लिए, जिन्हें लाभ नहीं दी जा रहा है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने राज्य सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा लगातार कर्ज लिया जा रहा है, कहा जा रहा है कि 60 -70 हजार करोड़ रुपए सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करने के लिए लिया जाता है यानी लाडली बहनाओं के नाम पर 65 हजार करोड़ लेंगे मगर बहनों को 15 हजार करोड़ रुपए नहीं देंगे बाकी 50,000 करोड़ रुपए को दूसरे कामों पर खर्च कर देंगे, यह अपराध है। कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि लाडली बहनाओ के हक और अधिकार के लिए, उन्हे 3,000 मिले इसके लिए राजनीतिक विपक्ष का दायित्व निभाएंगी। न्यायालय जाएंगे और जो 1800 रुपए की चोरी सरकार कर रही है, जिन बहनाओं को लाभ नहीं दे रही है, पंजीयन नहीं किया जा रहा है इसकी कांग्रेस लड़ाई लड़ेगी।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि एक तरफ लगातार प्रदेश को कर्जदार बनाया जा रहा है और जिन कार्यों के लिए यह कर्ज लिया जा रहा है उसकी बजाए यह राशि अन्य कार्यों पर खर्च की जा रही है। यह राशि राजनीतिक पंडाल और विज्ञापन पर लगा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा नौ साल से लंबित पदोन्नति की प्रक्रिया के संदर्भ में लिए गए फैसले पर पटवारी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी हमेशा से कर्मचारी विरोधी रही है, आज तक एससी-एसटी के एक लाख पद नहीं भरे गए , पदोन्नति में भी आरक्षण की सबसे बड़ी अड़चन तो सरकार है, राज्य में अराजकता की स्थिति बनी हुई है। राज्य के महाविद्यालय की स्थिति देखें तो 90 प्रतिशत कॉलेज में प्रभारी प्राचार्य पदस्थ हैं , शिक्षा का बुरा हाल बना हुआ है। यही स्थिति सभी विभागों में भी है।